पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/७७

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। यहीसे असहयोग आन्दोलनका प्रथम चरण आरम्भ हुआ। हताश जनताका तिनकेको सहाके मिल गया। उसको सारे दुःवों के प्रतिकारकी आशा हो गया और उसने उसे कसकर पकड़ा। जिस दुराचार अपमान बेईमानी तथा धोखेबाजीके तले वह नित्य प्रति दबाई जा रही थी और पंजाबकी दुर्घटना तथा खिलाफतके प्रति विश्वासघात जिसकी परम सीमा थी उसकी दवा उन्हें इसमें दिखाई दी। अब राष्ट्रने यहो निश्चय किया कि यातना सरकर ही हम स्वराज्य प्राप्त करेंगे। आज प्रायः २५ मास हो जाते हैं पर राष्ट्रने अपनी प्रतिज्ञा नहीं तोड़ी। - जिस समय जो कहा गया कर डाला, जिस त्यागकी शिफारिस की गई, खुशीसे दे दिया और आज भी उसी तरह अटल और दूढ़ खड़ा है।


अक्तूबरकी पहली सप्ताहमें मौलाना मुहम्मद अली यूरोपसे

लोटे। महात्माजी उन्हें साथ लेकर अक्त बर १२ को अली- गढ़ पहुचे। यहींसे सरकारी स्कूलों और कालजोंका वहिष्कार आरम्भ हुआ जो ४।५ माम तक पूरे जोर पर रहा। अलीगढ़ कालेजको राष्ट्रीय बनानेकी व्यवस्था की जाने लगी। कालेजके टस्ट्रियों में अनेक असहयोगी थे। उन्होंने अन्य ट्रस्ट्रियोंके पास पत्र भेजा और अपना विचार प्रगट किया। तदनुसार अक्तुबर १७ को द्रस्ट्रियोंकी एक सभा। हुई। महात्मा गान्धीने भी उनके पास इसी विषय पर एक पत्र लिखा था। पर ट्रस्टियोंने यही निर्णय किया कि