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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/७८

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हम लाग इस विद्यालयको पुराने ढर्रे पर ही चलावेंगे। निदान अलीगढ़में राष्ट्रीय मुस्लिम विद्यालयको स्थापना की गई। उसके सभापति शेखुलहिन्द मौलाना मुहम्मदुल हुसेन साहस बनाये गये और मौलाना मुहम्मद अली कालेजके प्रिन्सिपल बने। इसके बाद महात्माजी पञ्जाब पहुचे। रहां भी वही जोश दिखाई दिया। प्रायः सभी कालेजोंक लड़कोंने हडताल कर दी। गवर्मेण्ट कालेज, खालसा कालेज तथा अन्य विद्यालयोंके छात्र उन्हें राष्ट्रीय बना देनेके लिये जोर मारने लगे। नवम्बर १५ को गुजरात विद्यापीठकी स्थापना स्वय महात्माजीने थी और वे ही उसके चान्स- लर बनाये गये और इसमें प्राय: ५०० छात्रोंको शिक्षा को जाने लगी। थोड़े ही दिनोंके बाद काशी विश्वविद्यालयके छात्रोंने भी हडताल कर दो। दिसम्बर मासके आरम्भमें महात्माजी विहार पहुंचे और राष्ट्रीय विद्यालयको स्थाप- नाकी राय दीया। जनवरी ५, १६२१ को पटना राष्ट्रीय विद्यालयकी स्थापना हुई। इसके पहले ही दिसम्बर माममें बम्बई में तिलक महा विद्यालयको स्थापना हा चुकी थी। तेरह फरवरीको स्वयं महात्माजीने काशी विद्यापीठकी स्थापना की और बाबू भगवानदाम उसके प्रधान बनाये गये। ड्यक आफ कनाटके स्वागतका वाहष्कार ।

असहयोग नीतिके अनुसार नागपुरमें एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव स्वीकृत हुआ। इसका आशय यह था कि ड्यू आफ कनार-