हमने पिछला अध्याय श्रीकृष्ण को यशोदा की शय्या पर लेटा छोड़कर समाप्त किया था । पाठकों को इस बार के जानने की लालसा होगी कि यशोदा का पति नंद कौन था । पुराणो से पता लगता है कि यह एक जाति विशेष का सरदार था, जिसे पुराणो मे गोप लिखा है । इस जाति का कोई विशेष निवास स्थान नहीं था । अब भी भारतवर्ष में ऐसी जातियाँ है, जो किसी जगह टिककर नहीं रहतीं वरन् अपने छकड़े और पशु लिए आज इस गाँव मे तो दो-चार महीने बाद दूसरे गाँव में चली जाती है । इनमें से कई जातियाँ पशु रखती हैं और दूध मक्खनादि वेचती है और कोई-कोई दूसरा व्यवसाय भी करती है । ऐसा प्रतीत होता है कि कृष्ण के जन्म के समय कोई ऐसी ही जाति उस जंगल मे (जो यमुनापार स्थित था) आकर ठहरी हुई थी, जहाँ वे अपने पशु चराने तथा दूध-मक्खन बेचते थे । अत. श्रीकृष्ण के जन्म को गुप्त रखने के लिए किसी ऐसी जाति से सहायता लेना कुछ अधिक युक्तियुक्त जान पड़ता है, क्योंकि वहाँ पर श्रीकृष्ण के छिपाए जाने का बहुत कम संदेह हो सकता था । फिर कंस को भी यह शका नही हो सकती थी कि इन रमते चरवाहो की मंडली में एक राजकुमार यों पाला जा रहा है। हम ऊपर कह आए हैं कि वसुदेव जी के दूसरे पुत्र बलराम भी गोकुल पहुँचा दिये गये थे और वह भी गोपियो के पास पालन हेतु रखे गये थे। इस प्रकार दोनों भाई-बलराम और कृष्ण को इकट्ठे रहने का अच्छा अवसर मिला । कृष्ण के वचपन के समय की बहुत-सी आश्चर्यजनक घटनाएँ वर्णन की जाती है । उनको परमेश्वर का अवतार मानने वाले भक्तो ने उनके जीवन की सामान्य घटनाओं का भी ऐसी रंगीली भाषा में वर्णन किया है जो किसी विचारवान के लिए कदापि विश्वसनीय नहीं हो सकतीं । पर इनके भक्तों का तो यही आशय था ।
सांसारिक सामान्य बातों के लिए अलौकिक शब्द प्रयोग नहीं हो सकते अत: हर एक महापुरुष बहुत-सी ऐसी बातों का कर्ता वर्णन किया जाता है जो जनसाधारण की दृष्टि में अलौकिक तथा आश्चर्यजनक दीख पड़ती हैं । प्रत्येक महापुरुष के अनुयायी तथा भक्तों ने उसके बचपन की घटनाओं को इस प्रकार अलंकृत कर दिया है कि वे लौकिक से अलौकिक हो जाती है, पर विद्यारवान पुरुष अपनी विवेचना-शक्ति द्वारा उन अलौकिक व्यवहारों में से भी कुछ-नकुछ सत्य अवश्य निकाल लेता है । कृष्णचन्द्र ने अपने बचपन में गोकुल में रहकर जो अलौकिक कार्य किये हैं उनका हम यहाँ संक्षिप्त विवरण लिखते है
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1 अब भी बहुत लोग अपने बच्चो को पहाड़ी दाइयों के हवाले कर आते हैं, और उसके वय प्राप्त होने पर उन्हें अपने
घर ले आते हैं ।
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