सातवाँ अध्याय
कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध
आखिर यह कब तक संभव था कि यादव वंश के दो राजकुमार यों गोपों के वेष में छिपे रहते और कभी पहचाने नहीं जाते। कस्तूरी चाहे कितने ही वस्त्रों में क्यों न लपेटी जावे, उसकी गन्ध छिपाये नहीं छिप सकती। वैसे ही कृष्ण और बलराम का नाम-धाम भी कब तक गुप्त रह सकता था। उनकी आकृति और उनका चाल-चलन उनके वंश का परिचय देता था। उनका ऊँचा ललाट और विशाल नेत्र पुकार-पुकार कहते थे कि ये दोनों लड़के जन्म से गोप नहीं हैं और न दूध, घी या मक्खन बेचना इनकी जीविका है। जब इनको इस तरह रहते कुछ दिन बीत गये और उनके पराक्रम और शूरता की कहानियाँ चारों ओर फैलने लगीं तो धीरे-धीरे यह चर्चा हुई कि ये लड़के गोप नहीं हैं।
होते-होते कंस तक भी यह बात[१] पहुँच गई और उसे तत्काल यह शंका उत्पन्न हुई कि हो न हो, ये दोनों लड़के वसुदेव के हैं जो चोरी-चोरी गोपों के बीच पले हैं। कुछ ठहरकर उसको इसका विश्वास हो गया और फिर उसे यह चिन्ता लगी कि जिस तरह से हो, इन दोनों को पकड़कर यमलोक पहुँचाऊँ जिससे फिर कोई खटका न रहे। संसार के इतिहास में कंस जैसे सैकड़ों जालिमों का पता चलता है जिन्होंने राज्य के लिए अपने वंश का विध्वंस कर डाला था उनके क्रूर खड्ग ने न तो बच्चों को छोड़ा और न बूढ़ों को। जिन्होंने इसी तरह अपने किसी वीर शत्रु से छुटकारा पाने के लिए उनको शेर या किसी हाथी से मल्लयुद्ध कराया है। मुसलमान और राजपूतों के इतिहास में ऐसे अनेक दृष्टान्त[२] मिलते हैं। पाठक! आप जरा इन पृष्ठों को खोलिये और विचारदृष्टि से देखिए कि वह जगत्-पिता जगदीश्वर कैसा न्यायकारी है और अपनी असहाय और पीड़ित प्रजा का कैसे संरक्षण करता है? वह उन्हें ऐसी सहनशीलता प्रदान कर देता है कि वे हर एक कष्ट को सहन कर अपने को बचा लेते हैं और इन पर अत्याचार करने वाले अपनी सारी शक्ति के रखते हुए भी उन्हीं के हाथों नीचा देखते है।
- ↑ विष्णुपुराण कहता है कि नारद ने कंस को बहकाया कि वे दोनों लड़के वसुदेव के हैं। इधर तो कंस को यों बहकाया कि जब तक ये दोनों लड़के जीवित हैं तब तक तेरा राज्य सुरक्षित नहीं उधर कृष्ण और बलराम को बदला लेने के लिए तत्पर किया।
- ↑ कर्नल टॉड ने ऐसी अनेक कहानियाँ लिखी हैं। उनमें से एक मुकुन्ददास राठौर की है जिसको औरंगजेब ने जावित शेर के पिंजरे में बन्द कर दिया था। जंगल का शेर राजपूतनी के बच्चे से आँख न लड़ा सका और मुकुन्ददास सही सलामत पिंजरे से निकल आया–
वह भी अकेला बिना किसी शस्त्र के शेर पर विजयी हुआ