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प्रकाशकका वक्तव्य श्रीअरविन्ददेवने समय-समयपर, अपने शिष्यों- को, उनके परिप्रश्नोके उत्तरमें जो पत्र लिखे उनमेंसे कुछ अवतरण इस पुस्तकमें दिये गये हैं। इनका यहाँ इस प्रकारले संकलन किया गया है कि जो लोग योग-साधन करनेक इच्छुक हैं उनकी इसके द्वारा कुछ सहायता हो और वे यह जाने कि योग क्या है और किस प्रकार उसका साधन किया जाता है।