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पृष्ठ:रंगभूमि.djvu/१०

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रंगभूमि

जॉन सेवक—(अँगरेजी में) "नहीं, मैं अनुभवी आदमियों से डरता हूँ। वे अपने अनुभव से अपना फायदा सोचते हैं, तुम्हें फायदा नहीं पहुँचाते। मैं ऐसे आदमियों से कोसों दूर रहता हूँ।"

ये बातें करते हुए तीनों आदमी फिटन के पास आये। पीछे-पीछे ताहिरअली भी थे। यहाँ सोफिया खड़ी सूरदास से बातें कर रही थी। प्रभु सेवक को देखते ही बोली'प्रभु, यह अंधा तो कोई ज्ञानी पुरुष जान पड़ता है, पूरा फिलॉसफर है।"

मिसेज़ सेवक—"तू जहाँ जाती है, वहीं तुझे कोई-न-कोई ज्ञानी आदमी मिल जाता है। क्यों रे अंधे, तू भीख क्यों माँगता है? कोई काम क्यों नहीं करता?"

सोफिया—(अँगरेजी में)"मामा, यह अंधा निरा गँवार नहीं है।"

सूरदास को सोफिया से सम्मान पाने के बाद ये अपमान-पूर्ण शब्द बहुत बुरे मालूम हुए। अपना आदर करनेवालों के सामने अपना अपमान कई गुना असह्य हो जाता है। सिर उठाकर बोला-"भगवान् ने जन्म दिया है, भगवान् की चाकरी करता हूँ। किसी दूसरे की ताबेदारी अब नहीं हो सकती।"

मिसेज़ सेवक—"तेरे भगवान् ने तुझे अंधा क्यों बना दिया है इसलिए कि तू भीख माँगता फिरे? तेरा भगवान् बड़ा अन्यायी है।"

सोफिया—(अँगरेजी में) "मामा, आप इसका इतना अनादर कर रही हैं कि मुझे शर्म आती है।"

सूरदास—"भगवान् अन्यायी नहीं है, मेरे पूर्व जन्म की कमाई ही ऐसी थी। जैसे कर्म किये हैं, वैसे फल भोग रहा हूँ। यह सब भगवान् की लीला है। वह बड़ा खिलाड़ी है। घरौंदे बनाता-बिगाड़ता रहता है। उसे किसी से बैर नहीं। वह क्यों किसी पर अन्याय करने लगा?"

सोफिया—"मैं अगर अंधी होती, तो खुदा को कभी माफ न करती।"

सूरदास—“मिस साहब, अपने पाप सबको आप भोगने पड़ते हैं, भगवान् का इसमें , कोई दोष नहीं।"

सोफिया—"मामा, यह रहस्य मेरी समझ में नहीं आता। अगर प्रभु ईसू ने अपने रुधिर से हमारे पापों का प्रायश्चित्त कर दिया, तो फिर सारे ईसाई समान दशा में क्यों नहीं हैं? अन्य मतावलंबियों की भाँति हमारी जाति में भी अमीर-गरीब, अच्छे-बुरे, लँगड़े-लूले, सभी तरह के लोग मौजूद हैं। इसका क्या कारण है?"

मिसेज़ सेवक ने अभी कोई उत्तर न दिया था कि सूरदास बोल उठा—“मिस साहब, अपने पापों का प्रायश्चित्त हमें आप करना पड़ता है। अगर आज मालूम हो जाय कि किसी ने हमारे पापों का भार अपने सिर ले लिया, तो संसार में अंधेर मच जाय।"

मिसेज सेवक—"सोफी, बड़े अफसोस की बात है कि इतनी मोटी-सी बात तेरी समझ में नहीं आती, हालाँकि रेवरेंड पिम ने स्वयं कई बार तेरी शंका का समाधान किया है।"