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रंगभूमि

दारोगा—"मैं बुरा आदमी हूँ, मुझे दिक मत करो। मैंने इसी जेल में बड़े-बड़ों की गरदनें ढीली कर दी हैं।"

विनय—"अपने को कोसने का आपको अधिकार है; पर आप जानते हैं, मैं जत्र के सामने सिर झुकानेवाला नहीं हूँ।"

दारोगा—"भाई, तुम विचित्र प्राणी हो, उसके हुक्म से सारा शहर खाली कराया जा रहा है, और फिर भी अपनी जिद किये जाते हो। लेकिन तुम्हें अनी जान भारी हो, मुझे अपनी जान भारी नहीं है।"

विनय—"क्या, शहर खाली कराया जा रहा है? यह क्यों?"

दारोगा-"मेम साहब का हुक्म है, और क्या, जसवंतनगर पर उनका कोप है। जब से उन्होंने यहाँ की वारदातें सुनी हैं, मिजाज बिगड़ गया है। उनका वश चले, तो इसे खुदवाकर फेक दें। हुक्म हुआ है कि एक सप्ताह तक कोई जवान आदमी कस्बे में न रहने पाये। भय है कि कहीं उपद्रव न हो जाय, सदर से मदद माँगी गई है"

दारोगा ने स्थिति को इतना बढ़ाकर बयान किया, इससे उनका उद्देश्य विनयसिंह पर प्रभाव डालना था, और उनका उद्देश्य पूरा हो गया। विनयसिंह को चिंता हुई कि कहीं मेरी अवज्ञा से क्रुद्ध होकर अधिकारियों ने मुझ पर और भी अत्याचार करने शुरू किये और जनता को यह खबर मिली, तो वह बिगड़ खड़ी होगी और उस दशा में मैं उन हत्याओं के पाप का भागी ठहरूँगा। कौन जाने, मेरे पीछे मेरे सहयोगियों ने लोगों को और भी उभार रखा हो, उनमें उदंड प्रकृति के युवकों की कमी नहीं है। नहीं, हालत नाजुक है। मुझे इस वक्त धैर्य से काम लेना चाहिए। दारोगा से पूछा—"मेम साहब यहाँ किस वक्त आयेंगी?"

दारोगा—"उनके आने का कोई ठीक समय थोड़े ही है। धोका देकर किसी ऐसे वक्त आ पहुँचेंगी, जब हम लोग गाफिल पड़े होंगे। इमी से तो कहता हूँ कि कमरे की सफाई कर डालो; कपड़े बदल लो; कौन जाने, आज हो आ जायँ।"

विनय—"अच्छी बात है; आप जो कुछ कहते हैं, सब कर लूँगा। अब आप निश्चित हो जायँ।"

दारोगा—"सलामी के वक्त आने से इनकार तो न करोगे?"

विनय—"जी नहीं; आप मुझे सबसे पहले आँगन में मौजूद पायेंगे।"

दारोगा—"मेरी शिकायत तो न करोगे?"

विनय—"शिकायत करना मेरो आदत नहीं, इसे आप खूब जानते हैं।"

दारोगा चला गया। अँधेरा हो चला था। विनय ने अपने कमरे में झाड़ लगाई, कपड़े बदले, कंबल बिछा दिया। वह कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते थे, जिससे किसी की दृष्टि उनकी ओर आकृष्ट हो; वह अपनी निरपेक्षा से हुक्काम के संदेहों को दूर कर देना चाहते थे। भोजन का समय आ गया, पर मिस्टर क्लार्क ने पदार्पण न किया। अंत में निराश होकर दारोगा ने जेल के द्वार बंद कराये और कैदियों को विश्राम