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रंगभूमि


देता हूँ, दो-ही-चार दिन में तुम्हारे पीछे-पीछे दौड़ती फिरेंगी। आसिक की हाय बुरी होती है।"

वीरपाल'कुँवर साहब, मेरा इतना कहना मानिए, अभी न जाइए। मुझे डर है, कहीं मिस साहब आपके यों चले जाने से घबरा न जायँ। मैं वादा करता हूँ, कल सूर्योदय तक आप जसवंतनगर पहुँच जायँगे। इस वक्त कुछ भोजन कर लीजिए।"

विनय-"मेरे लिए अब यहाँ का पानी भी हराम है। अगर तुम्हें नहीं चलना है, तो न सही; मुझे तुमसे इतनी खातिरदारी कराने का अधिकार नहीं। मैं अकेला ही चला जाऊँगा।"

वीरपाल विवश होकर साथ चलने को तैयार हुआ। नायकराम का भूख के मारे बुरा हाल था; पर क्या करते, विनय को चलते देखकर उठ खड़े हुए। तीनों आदमी रवाना हुए।

आध घंटे तक तीनों आदमी चुपचाप चलते रहे। विनय को सोफिया की और सब बातें तो याद न थीं, पर उनकी नीयत पर उसने जो आक्षेप किये थे और उनके विषय में जो द्वेष-पूर्ण भविष्यवाणी की थी, उसका एक-एक शब्द उनके कानों में गूंज रहा था। सोफिया मुझे इतना नीच समझती है! परिस्थिति पर जरा भी विचार नही करना चाहती, मन की दशा के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ती।"

सहसा उन्होंने वीरपाल से पूछा- "तुम्हारे विचार में मैं आवेश में आकर यह अन्याय कर बैठा, या जैसा मिस सोफिया कहती हैं, मैं स्वभाव ही का नीच हूँ?"

वीरपाल-"कुँवर साहब, मिस सोफिया की इस वक्त की बातों को जरा भी बुरा न मानिए । जैसे आप आवेश में विवेक-हीन हो गये थे, वैसे ही वह भी आवेश में अनर्गल बातें कर गई होंगी। जब आपने सेवा-धर्म और परोपकार के लिए राज्य त्याग दिया, तो किसका मुँह है, जो आपको स्वार्थी कह सके।"

विनय-"न जाने इसने इतने कटु शब्द कहाँ सीख लिये! आदमी भिखारी को भी जवाब दे, तो नम्रता से। इसने तो मुझे इस तरह दुत्कारा, मानों कोई कुत्ता हो।"

नायकराम-"किसी अँगरेज को ब्याहेगी, और क्या। यहाँ काले आदमियों के पास क्या धरा है। मुरगी का अंडा कहाँ मिलेगा?"

विनय-"तुम निरे मूर्ख हो, तुम्हें मुर्गी के अंडे ही की पड़ी है।'

नायकराम-"एक बात कहता था। तुम्हारे साथ वह आजादी कहाँ? ले जाकर रानी बना दोगे, परदे में बैठा दोगे। घोड़ी पर सवार कराकर शिकार खेलने तो न जाओगे! कमर में हाथ डालकर टमटम पर तो न बैठाओगे! टोपी उतारकर हुरे-हुरे तो न करोगे!"

विनय-"फिर वही उपज। अरे पोंगा महाराज, सोफिया को तुमने क्या समझा है? हमारे धर्म का जितना ज्ञान उसे है, उतना किसी पण्डित को भी न होगा। वह हमारे यहाँ की देवियों से किसी भाँति कम नहीं। उसे तो किसी राजा के घर जन्म लेना चाहिए