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रंगभूमि


का लगा रहना व्यर्थं है। मेरा कारखाना ऐसे बेकारों को अपनी रोटी कमाने का अवसर देगा।"

कुँवर साहब-"लेकिन जिन खेतों में इस वक्त नाज बोया जाता है, उन्हीं खेतों में तंबाकू बोई जाने लगेगी। फल यह होगा कि नाज और महँगा हो जायगा।"

जॉन सेवक-"मेरी समझ में तंबाकू की खेती का असर जूट, सन, तेलहन और अफीम पर पड़ेगा। निर्यात जिंस कुछ कम हो जायगी। गल्ले पर इसका कोई असर नहीं पड़ सकता। फिर हम उस जमीन को भी जोत में लाने का प्रयास करेंगे, जो अभी तक परती पड़ी हुई है।"

कुँवर साहब-"लेकिन तंबाकू कोई अच्छी चीज तो नहीं। इसकी गणना मादक वस्तुओं में है, और स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ता है।"

जॉन सेवक-(हँसकर) “ये सब डाक्टरों को कोरी कल्पनाएँ हैं, जिन पर गंभीर विचार करना हास्यास्पद है। डॉक्टरों के आदेशानुसार हम जीवन व्यतीत करना चाहें, तो जीवन का अंत ही हो जाय। दूध में सिल के कीड़े रहते हैं, घी में चरवी की मात्रा अधिक है, चाय और कहवा उत्तेजक हैं, यहाँ तक कि साँस लेने से भी कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उनके सिद्धांतों के अनुसार समस्त संसार कीटों से भरा हुआ है, जो हमारा प्राण लेने पर तुले हुए हैं। व्यवसायी लोग इन गोरख-धंधों में नहीं पड़ते; उनका लक्ष्य केवल वर्तमान परिस्थितियों पर रहता है। हम देखते हैं कि इस देश में विदेश से करोड़ों रुपये के सिगरेट और सिगार आते हैं। हमारा कर्तव्य है कि इस धन-प्रवाह को विदेश जाने से रोके। इसके बगैर हमारा आर्थिक जीवन कभी पनप नहीं सकता।"

यह कहकर उन्होंने कुँवर साहब को गर्व-पूर्ण नेत्रों से देखा। कुँवर साहब की शंकाएँ बहुत कुछ निवृत्त हो चुकी थीं। प्रायः वादी को निरुत्तर होते देखकर हम दिलेर हो जाते हैं। बच्चा भी भागते हुए कुत्ते पर निर्भय होकर पत्थर फेकता है।

जॉन सेवक निश्शंक होकर बाले-"मैंने इन सब पहलुओं पर विचार करके ही यह मत स्थिर किया, और आपके इस दास को (प्रभु सेवक की ओर इशारा करके) इस व्यवसाय का वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अमेरिका भेजा। मेरी कंपनी के अधिकांश हिस्से बिक चुके हैं, पर अभी रुपये नहीं वसूल हुए। इस प्रांत में अभी सम्मिलित व्यवसाय करने का दस्तूर नहीं। लोगों में विश्वास नहीं। इसलिए मैंने दस प्रति सैकड़े वसूल करके काम शुरू कर देने का निश्चय किया है। साल-दो-साल में जब आशातीत सफलता होगी, और वार्षिक लाभ होने लगेगा, तो पूँजी आप-ही-आप दौड़ी आयेगी। छत पर बैठा हुआ कबूतर 'आ-आ' की आवाज सुनकर सशंक हो जाता है, और जमीन पर नहीं उतरता; पर थोड़ा-सा दाना बखेर दीजिए, तो तुरंत उतर आता है। मुझे पूरा विश्वास है कि पहले ही साल हमें २५ प्रति सैकड़े लाभ होगा। यह प्रॉसपेक्टस है, इसे गौर से देखिए। मैंने लाभ का अनुमान करने में बड़ी सावधानी से काम लिया है; बढ़ भले ही जाय, कम नहीं हो सकता।"