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पृष्ठ:रंगभूमि.djvu/५५४

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रंगभूमि


यार है, मुझे गिरफ्तार करो, मारो-पीटो, जलील करो। मैं यहाँ मरने ही आया हूँ, जिन्दगी से जी भर गया, दुनिया रहने की जगह नहीं, यहाँ इतनी दगा है, इतनी बेव-फाई है, इतना हसद है, इतना कीना है कि यहाँ जिन्दा रहकर कभी नुशी नहीं मयस्सर हो सकती।"

माहिरअली स्तंभित-से बैठे रहे। पर उनके एक मित्र ने कहा-"मान लीजिए, इन्होंने बेवफाई की......"

ताहिरअली बोले-“मान क्या लूँ साहब, भुगत रहा हूँ, रो रहा हूँ, मानने की बात नहीं है।"

मित्र ने कहा-"मुझसे गलती हुई, इन्होंने जरूर बेवफाई की; लेकिन आप बुजुर्ग हैं, यह हरकत शराफत से बईद है कि किसी को सरे मजलिस बुरा-भला कहा जाय और उसके मुँह में कालिख लगा दी जाय।"

दूसरे मित्र बोले-“शराफत से बईद ही नहीं है, पागलपन है, ऐसे आदमी को पागलखाने में बन्द कर देना चाहिए।"

ताहिर- "जानता हूँ, इतना जानता हूँ, शराफत से बईद है; लेकिन मैं शरीफ नहीं हूँ, पागल हूँ, दीवाना हूँ, शराफत आँसू बनकर आँखों से बह गई। जिसके बच्चे गलियों में, दूकानों पर भीख माँगते हों, जिसकी बीवी पड़ोसियों का आटा पीसकर अपना गुजर करे, जिसकी कोई खबर लेनेवाला न हो, जिसके रहने का घर न हो, जिसके पहनने को कपड़े न हों, वह शरीफ नहीं हो सकता, और न वही आदमी शरोफ हो सकता है, जिसकी बेरहमी के हाथों मेरी यह दुर्गत हुई। अपने जेल से लौटनेवाले भाई को देखकर मुँह फेर लेना अगर शराफत है, तो यह भी शराफत है। क्यों मियाँ माहिर, बोलते क्यों नहीं? याद है, तुम नई अचकन पहनते थे और जब तुम उतारकर फेक दिया करते थे, तो मैं पहन लेता था! याद है, तुम्हारे फटे जूते-गठवाकर मैं पहना करता था! याद है, मेरा मुशाहरा कुल २५) माहवार था, और वह सब-का-सब मैं तुम्हें मुरादाबाद भेज दिया करता था याद है, देखो, जरा मेरी तरफ देखो। तुम्हारे तम्बाकू का खर्च मेरे बाल-बच्चों के लिए काफी हो सकता था। नहीं, तुम सब कुछ भूल गये। अच्छी बात है, भूल जाओ, न मैं तुम्हारा भाई हूँ, न तुम मेरे भाई हो। मेरी सारी तकलीफों का मुआवजा यही स्याही है, जो तुम्हारे मुँह पर लगी हुई है। लो, रुखसत, अब तुम फिर यह सूरत न देखोगे, अब हिसार के दिन तुम्हारा दामन न पकडूंँगा। तुम्हारे ऊपर मेरा कोई हक नहीं है।"

यह कहकर ताहिरअली उठ खड़े हुए और उसी अँधेरे में जिधर से आये थे, उधर चले गये, जैसे हवा का एक झोंका आये और निकल जाय। माहिरअली ने बड़ी देर बाद सिर उठाया और फौरन् साबुन से मुँह धोकर तौलिये से साफ किया। तब आईने में मुंँह देखकर बोले-"आप लोग गवाह रहें, मैं इनको इस हरकत का मजा चखाऊँगा।"