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रंगभूमि


उनकी बनाई हुई जिल्दें बहुत सुंदर और सुदृढ़ होती हैं। काम की कमी नहीं है, सिर उठाने की फुरसत नहीं मिलती। उन्होंने अब दो-तीन जिल्दबंद नौकर रख लिये हैं और शाम तक दो-तीन रुपये की मजदूरी कर लेते हैं। इतने समृद्ध वह कभी न थे।