पृष्ठ:रंगभूमि.djvu/९५

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सोफिया इस समय उस अवस्था में थी, जब एक साधारण हँसी की बात, एक साधारण आँखों का इशारा, किसी का उसे देखकर मुस्किरा देना, किसी महरी का उसकी आज्ञा का पालन करने में एक क्षण विलंब करना, ऐसी हजारों बातें, जो नित्य घरों में होती रहती हैं, और जिनकी कोई परवा भी नहीं करता, उसका दिल दुखाने के लिए काफी हो सकती थीं। चोट खाये हुए अंग को मामूली-सी टेस भी असह्य हो जाती है। फिर इंदु का बिना उससे कुछ कहे-सुने चला जाना क्यों न दुःख-जनक होता। इंदु तो चली गई; पर वह बहुत देर तक अपने कमरे के द्वार पर मूर्ति की भाँति खड़ी सोचती रही-यह तिरस्कार क्यों? मैंने ऐसा कौन-सा अपराध किया है, जिसका मुझे यह दंड मिला है? अगर उसे यह मंजूर न था कि मुझे साथ ले जाती, तो साफ-साफ कह देने में क्या आपत्ति थी? मैंने उसके साथ चलने के लिए आग्रह तो किया न था! क्या मैं इतना नहीं जानती कि विपत्ति में कोई किसी का साथी नहीं होता? वह रानी है, उसकी इतनी ही कृपा क्या कम थी कि मेरे साथ हँस-बोल लिया करती थी। मैं उसकी सहेली बनने के योग्य कव थी; क्या मुझे इतनी समझ भी न थी। लेकिन इस तरह आँखें फेर लेना कौन-सी भलमंसी है! राजा साहब ने न माना होगा, यह केवल बहाना है। राजा साहब इतनी-सी बात को कभी अस्वीकार नहीं कर सकते। इंदु ने खुद ही कुछ सोचा होगा-वहाँ बड़े-बड़े आदमी मिलने आगे, उनसे इसका परिचय क्योंकर कराऊँगी। कदाचित् यह शंका हुई हो कि कहीं इसके सामने मेरा रंग फीका न पड़ जाय, बस, यही बात है, अगर मैं मूर्खा, रूपगुण-विहीना होती, तो वह मुझे जरूर साथ ले जाती; मेरी हीनता से उसका रंग और चमक उठता) मेरा दुर्भाग्य!

वह अभी द्वार पर खड़ी ही थी कि जाह्नवी बेटी को विदा करके लौटी, और सोफी के कमरे में आकर बोलीं-बेटी, मेरा अपराध क्षमा करो, मैंने ही तुम्हें रोक लिया। इंदु को बुरा लगा, पर करूँ क्या, वह तो गई ही, तुम भी चली जाती, तो मेरा दिन कैसे कटता? विनय भी राजपूताना जाने को तैयार बैठे हैं, मेरो तो मौत हो जाती। तुम्हारे रहने से मेरा दिल बहलता रहेगा। सच कहती हूँ बेटी, तुमने मुझ पर कोई मोहिनी-मंत्र फेंक दिया है।"

सोफिया-"आपकी शालीनता है, जो ऐसा कहती हैं। मुझे खेद यही है, इंदु ने जाते समय मुझसे हाथ भी न मिलाया।"

जाह्नवी-"केवल लजा-वश बेटी, केवल लजा-यश। मैं तुझसे सत्य कहती हूँ, ऐसी सरल बालिका संसार में न होगी। तुझे रोककर मैंने उस पर घोर अन्याय किया है। मेरी बच्ची का वहाँ जरा भी जी नहीं लगता; महीने भर रह जाती है, तो स्वास्थ्य