पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१०१

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"पिछड़ कैसे जायगी, आगे बढ़ जायगी।"

"लेकिन लोग तो यही कहेंगे कि पुरानी होली के बाद प्रगतिशील होली मनाई गई, इसलिए प्रगतिशील होली पिछड़ गई।"

"हाँ यह ठीक है। तब क्या पुरानी होली के पहले मनाई जाय?"

"हाँ प्रगतिशीलता के माने तो यही हैं कि पुरानी होली से पहले ही मना ली जाय।"

"इस बार पाँच छः दिन पहले हो जायगी। अगले साल पन्द्रह दिन पूर्व रख ली जायगी।"

"यह ठीक है। तो नोटिस निकाल देना चाहिए।"

"ठहरिये, यह भी तो सोच लीजिए कि होली मनाई कैसे जाय। मनाने में भी तो प्रगतिशीलता होनी चाहिए। अभी तो आपने केवल मनाने के समय में प्रगतिशीलता लाने की बात सोची है।"

"हां जनाब यह बात भी विचारणीय है।"

"तो जल्दी विचारो।"

"देखिये---हूँ, आगे बढ़ना--रंग चलाने में आगे बढ़ना--वह किस प्रकार होगा--हूँ, रंग के आगे क्या है।"

"रंग के आगे अभी कुछ नहीं है।"

"मान लीजिए कि हम रंग से आगे बढ़ना चाहें तो रंग के स्थान में काहे का व्यवहार करेंगे।"

"रंग के स्थान में---वह देखो---भगवान तुम्हारा भला करे।-ऊँह कुछ समझ में नहीं आता।"

"चलाई कितनी चीजें जा सकती हैं।"

"रेल चलाई जाती है, बाइसिकिल....."?

"अरे भाई, रंग के समान कोई चीज बताओ---रेल वेल से क्या मतलब। रंग चलता है, रंग चलाया जाता है---इसी प्रकार और क्या चलाया जाता है?"

एक साहब बोल उठे---"यदि कवि सम्मेलन रक्खा जाय तो कैसा?"

यह सुनते ही एक महाशय उठकर बाहर भागे। लोगों ने उनसे