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नत्थू चाचा ब्राह्मण हैं। वयस पैंतालीस के लगभग है। मुहल्ले में वह नत्थू चाचा के नाम से पुकारे जाते हैं। नत्थू चाचा की जीविका पूजन-पाठ से चलती है। एक लड़का है जिसकी वयस १४, १५ वर्ष के लगभग है। यह लड़का एक संस्कृत-पाठशाला की प्रथमा कक्षा में पढ़ता है। हिन्दी मिडिल पास करके नत्थू चाचा ने इसे संस्कृत-शिक्षा दिलाना ही अधिक उचित समझा। लोगों ने समझाया भी कि अंँग्रेजी पढ़ाओ परन्तु नत्थू चाचा ने उत्तर दिया----"अँग्रेजी पढ़कर लड़का भ्रष्ट हो जाता है, आचार-विचार दूषित हो जाते हैं।"
नत्थू चाचा शाक्त हैं और अपने शाक्त कहने में गर्व का अनुभव करते हैं। परन्तु बुद्धि उनमें वाजिबी ही वाजिबी है।
उनका वेश भी शाक्तों जैसा है। सिर के ऊपर बाल बड़े-बड़े, कंधों तक दाढ़ी और माथे पर लाल बिन्दी। लाल वस्त्र का व्यवहार करते है। तन्त्र-मन्त्र तथा अनुष्ठान अधिक करते हैं। आप में, आप ही के कथनानुसार, अलौकिक कार्य करने की भी शक्ति है। मारण, उच्चाटन वशीकरण, शत्रु-स्तम्भन तथा मुकदमे जिता देना उनके बायें हाथ का खेल है, यद्यपि इन शक्तियों का कोई ज्वलन्त प्रमाण अभी तक किसी को देखने को नहीं मिला। जब कोई पूछता--"नत्थू चाचा, आपने कभी