पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१४५

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अल्लहरवखू चला गया। रजनीगन्धा चुपचाप देख रहा था। चन्द्र कान्त ने पूछा---"तुम कौन हो सच बताओ।"

स्त्री रोने लगी। कुछ देर बाद जब वह शान्त हुई तो बोली--- "आप विश्वास नहीं करेंगे।"

"विश्वास क्यों नहीं करेंगे---कहो।"

स्त्री ने अपना वृतान्त सुनाया। वह एक भले घर की लड़की थी। पड़ोस के एक युवक के प्रेम में फंँस कर उसके साथ भाग खड़ी हुई थी। उस युवक ने कुछ दिनों बाद उसे उस व्यक्ति को सौंप दिया जिसके साथ अब वह रहती है और जो उस दिन उसके साथ चन्द्रकान्त की दुकान पर गया था। वह पुरुष उससे यह पेशा करवाता है।

चन्द्रकान्त ने कहा---"तुम उसका कहना क्यों मानती हो?"

"वह जल्लाद है! उसकी बात न मानू तो जान से मार दे।"

चन्द्रकान्त रजनीगन्धा से परामर्श कर के स्त्री से बोला--"तुम हमारे साथ चलो तो हम किसी भले आदमी से तुम्हारा विवाह कर दे।"

"मैं तैयार हूँ। मेरा उद्धार कीजिए। आपका जन्म भर एहसान मानूँगा।"

चन्द्रकान्त उस स्त्री को अपने साथ ले आये और एक युवक के साथ उसका विवाह करवा दिया।

कभी कभी भक्षक भी रक्षक हो जाता है।