पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/४८

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गया कि बेटा लौट आओ अब हम तुम्हारी बातों में दखल नहीं देंगे—इत्यादि।

तीसरे दिन बबुआ आ गया।

अब बबुआ धड़ल्ले के साथ कान्यकुब्जता के सब नियम तोड़ता रहता है। मिश्रजी से कोई कहता तो उत्तर देते हैं—"क्या करें! आजकल हवा ही ऐसी चल गई है।"