पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/७३

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कान्स्टेबिल चलने लगा तो कप्तान साहब बोले—"लेकिन एक बात का खयाल रखना। आयन्दा किसी औरत के इतने जोर का लप्पड़ मत मारना।"

कान्स्टेबिल चला गया। उसके जाने के बाद कप्तान साहब अपनी पत्नी से जो उनके निकट ही बैठी थी अँग्रेजी में बोले—"बड़े जोर का लप्पड़ मारा था इसने मेरा गाल अब तक दर्द कर रहा है।"

मेम साहब हँस कर बोलीं—

"ताकतवर आदमी है। आयन्दा जरा बचकर काम करना।"

कप्तान साहब हँस कर बोले—"अगर दूसरा लप्पड़ मारता तो मुझे वहीं अपने को प्रकट कर देना पड़ता।"

"तब तो इसकी शकल उस समय देखने के योग्य होती।"

"बेचारा खौफ से अधमरा हो जाता।"

दोनों खिलखिला कर हँसने लगे।