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मद
( १ )
रायबहादुर केशवप्रसाद उन आदमियों में से थे जिनका विश्वास था कि संसार में धन ही सब कुछ है । जिसके पास धन है वही श्रेष्ठ है और वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है।
रायबहादुर साहब का परिवार आठ-दस आदमियों का परिवार है। तीन पुत्र, दो पुत्रियाँ, पत्नी; विधवा चाची इत्यादि से परिवार भरा-पूरा है । बड़ा लड़का कृष्णप्रसाद डिप्टी कलक्टर है और बाहर रहता है।
रात के आठ बजे थे । रायबहादुर साहब अपने कुछ मित्रों तथा खुशामदियों सहित अपने विशाल भवन के एक सुसज्जित कमरे में बिजलो की अंगीठी के सन्मुख
"आज बड़ी सर्दी है ।" एक सज्जन ने कहा।
"हाँ आज कल से भी अधिक है।"
"ऐसे में सरकस देखने चलना तो मुसीबत है ।"
"न चलियेगा तो टिकट रद्दी हो जायगे।"
"खैर चलेंगे तो, परन्तु मानन्द नहीं पायगा।"
"शाल-बाल लेलीजिएगा। हम तो तूश लेकर आये हैं।" एक ने कहा।
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