पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।

हिसाब-किताब

( १ )

पं० रामशरण मध्यश्रेणी के आदमी थे। अनाज की आढ़त का काम करते थे। इनका एक विवाह योग्य लड़का था। यद्यपि उसके कई सम्बन्ध आये, पर पण्डित जी को वे पसन्द न हुए। पण्डित जी लोभी आदमी थे, वह किसी धनाढ्य की कन्या से लड़के का विवाह करना चाहते थे।

जब कोई सम्बन्ध करने आता था तो पहले आप उसकी हैसियत इत्यादि पूछते थे तत्पश्चात् प्रश्न करते थे कि लड़की के कितने भाई-बहिन हैं। भाई-बहिनों की संख्या सुनकर यह अनुमान लगाते थे कि उनकी भावी पुत्रवधु के हिस्से में कितना द्रव्य आयगा। जब हिसाब लगाते तो वह हिसाब कुछ अधिक उत्साह-प्रद न होता था। इस कारण वह सम्बन्ध करना अस्वीकार कर देते थे। अन्ततोगत्वा एक दिन एक महाशय आये। उनके ठाठ-बाट देखकर पण्डित जी ने अनुमान लगाया कि यह धनाढ्य व्यक्ति मालूम होता है। वार्तालाप आरम्भ हुआ! पंडित जी ने पूछा "आपकी आमदनी क्या है?"

"मेरी आमदनी पाँच-छः सौ रुपये मासिक की है।"

पण्डित जी ने सोचा जैसे ठाठ-बाट हैं वैसी आय नहीं है।

"आमदनी का द्वार क्या है?"पण्डित जी ने प्रश्न किया।

८१