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रघुवंश।

तेरी यही है। तेरा चलना-फिरना और विलास-विभ्रम आदि बन्द हो जाने से, इसने भी, इस समय, मौन धारण कर लिया है। यह जान गई है कि अब तू ऐसी सोई है कि फिर जागने की नहीं। इसी से, इसे इस तरह चुपचाप पड़ी देख, कोई यह नहीं कह सकता कि यह मरी नहीं, जीती है। देखने से तो यही जान पड़ता है कि तेरे वियोग से व्याकुल होकर इसने भी तेरा अनुगमन किया है। परलोक जाने के लिए यद्यपि तू उतावली हो रही थी, तथापि, मुझे धीरज देने के लिए, तू अपने कई गुण यहाँ छोड़ती गई। अपने मधुर वचन कोयलों को, मन्दगमन हंसियों को, चञ्चल दृष्टि मृगनारियों को और हाव-भाव पवन की हिलाई हुई लताओं को तू देती गई। यह सब सच है, और इसमें कोई सन्देह नहीं कि ये चिह्न छोड़ कर तूने मुझ पर बड़ी कृपा की; परन्तु इनमें से एक की भी पहुँच मेरे हृदय तक नहीं हो सकती। तेरे वियोग की व्यथा से मेरा हृदय इतना व्याकुल हो रहा है कि, यदि ये उस तक पहुँचे भी, तो भी, इनसे उसकी सान्त्वना न हो सके। उसे अवलम्ब-दान देने में ये बिलकुल ही असमर्थ हैं।

"इस आम और प्रियङ्गलता पर तेरी बड़ी ही प्रीति थी। तू ने इन दोनों का एक जोड़ा बनाना चाहा था। तेरी इच्छा थी कि इन दोनों का विवाह हो जाय। परन्तु इनका मङ्गल-मय विवाह-विधान किये बिना ही तू जा रही है। यह बहुत ही अनुचित है। भला ऐसा भी कोई करता है? देख, यह तेरा अशोक-वृक्ष है। पैरों से छू कर तू ने इसका दोहद किया था। इस पर अब शीघ्र ही फूल खिलेंगे। यदि तू जीवित रहती तो इन्हीं फूलों को तू अपने बालों में गूँथती; यही तेरी अलकों की शोभा बढ़ाते। परन्तु, हाय! यही फूल अब मुझे तेरी अन्त्येष्टि-क्रिया में लगाने पड़ेंगे! तू ही कह, ऐसा हृदयविदारी काम किस तरह मुझ से हो सकेगा? हे सुन्दरी! नूपुर बजते हुए तेरे चरण के स्पर्श की याद सा करता हुआ यह अशोक, फूलरूपी आँसू बरसा कर, तेरे लिए रो रहा है। इस पर तेरा बड़ा ही अनुग्रह था। इसी से, तेरे पैरों के जिस स्पर्श के लिए और पेड़ लालायित रहते थे उसी को तू ने इसके लिए सुलभ कर दिया था। तेरे उसी अनुग्रह को याद करके, तेरे सोच में, यह आँसू गिरा रहा है। अपनी साँस के समान सुगन्धित बकुल के फूलों की जिस सुन्दर करधनी को तू मेरे साथ बैठी हुई गूँथ रही थी, उसे अधगूँथी ही छोड़ कर तू सदा के लिए सो गई। हे किन्नरों के समान कण्ठवाली! यह तेरा सोना कैसा? इस तरह का व्यवहार करना तुझे शोभा नहीं देता। तेरे सुख में सुखी और दुख में दुखी होने वाली ये तेरी सखियाँ हैं। प्रतिपदा के चन्द्रमा के समान छोटा, तथापि सुन्दर और हम लोगों की आशा का आधार, यह तेरा पुत्र है। एक मात्र