पृष्ठ:रघुवंश (अनुवाद).djvu/१८१

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नवाँ सर्ग।

और पेड़ों की कुञ्जों में छिपे बैठे हुए सिंह मारने का उसने इरादा किया। अतएव, बिजली की कड़क के समान भयङ्कर शब्द करने वाली अपनी प्रत्यञ्चा की घोर टङ्कार से उसने उनके रोष को बढ़ा दिया। सिंहों को, उनके शौर्य्य और वीर्य्य के कारण, पशुओं में जो राजा की पदवी मिली है वह दशरथ को सहन न हुई। राजा की पदवी का एक मात्र अधिकारी उसने अपने हीं को समझा। इसी से वह ढूँढ़ ढूँढ़ कर सिंहों का शिकार करने लगा। ये सिंह हाथियों के घोर शत्रु थे। बड़े बड़े मतवाले हाथियों के मस्तक विदीर्ण करने के कारण इनके पञ्जों के टेढ़े टेढ़े नुकीले नखों में गजमुक्ता लगे हुए थे—नखों से छिद कर वे वहीं अटक रहे थे। यह देख कर दशरथ का क्रोध दूना हो गया। उसने कहा—"युद्ध में जो हाथी मेरे इतने काम आते हैं उन्हीं को ये मारते हैं"! यह सोच कर उसने अपने पैने बाणों से उन सारे सिंहों को मार गिराया, एक को भी जीता न छोड़ा। उनका संहार कर के उसने हाथियों की मृत्यु का बदला सा ले लिया—उनके ऋण से उसने अपने को उऋण सा कर दिया।

सिंहों का शिकार कर चुकने पर उसे एक जगह चमरी-मृग दिखाई दिये। अतएव, घोड़े की चाल को बढ़ा कर उसने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और कान तक खींच कर बरसाये गये बाणों से उनकी पूँछे काट गिराईं। इन्हीं मृगों की पूँछों के बाल चमरों में लगते हैं। इसी से ये चमरी-मृग कहलाते हैं। दशरथ ने इन्हें भी, माण्डलिक राजाओं की तरह, चमरहीन करके कल की। उसने कहा:—"मेरे राज्य में मेरे सिवा और किसी को भी चमर रखने का अधिकार नहीं। इससे केवल इनके चमर छीन लेना चाहिए; इन्हें जान से मार डालने की ज़रूरत नहीं"।

इतने में उसने, अपने घोड़े के बिलकुल पास से उड़ कर जाता हुआ, एक बड़े ही सुन्दर पंख वाला मोर देखा। परन्तु उसे उसने अपने बाण का निशाना न बनाया; उसे उड़ जाने दिया। बात यह हुई कि उसे, उस समय, चित्र-विचित्र मालाओं से गुँथे हुए अपनी प्रियतमा रानी के शिथिल केश-कलाप का तुरन्तही स्मरण हो आया। मोर-पंखों में रानी के जूड़े की समता देख कर उसने उस मोर को मारना उचित न समझा। प्रेमियों को अपने प्रेमपात्र के किसी अवयव या वस्तु की सदृशता यदि कहीं दिखाई देती है तो वे उसे भी प्रेमभरी दृष्टि से देखते हैं।

राजा दशरथ ने, इस प्रकार, बहुत देर तक, शिकार खेला। उसमें उसे बहुत श्रम पड़ा। इस कारण उसके मुँह पर मोतियों के समान पसीने के बूँद छा गये। परन्तु, नये निकलते हुए पत्तों के मुँह खोलने वाली, और,

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