पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/१०८

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(चौदहवां
रज़ीयाबेगम।


समझा !!! प्यारी ! क्या तुमने मुझे इतना कमीना समझ लिया है कि मैं तुम जैसी माशूका को छोड़कर दौलत या बादशाहत के लालच में पड़कर उस फ़ाहिशा के हाथ अपने दिल को बेचूंगा !!! हर्गिज नहीं, हर्गिज नहीं !!! दिलरुबा ! चाहे याक ब के तन की बेगम धज्जियां उड़ा डालें, मगर प्यारी ! जब तक इसके कालिब में जान बाकी रहेगी, यह सिवा तुम्हारे और किसी गैर का हर्गिज़ न होगा।"

सौसन,-'प्यारे ! अफ़सोस, तुमने मेरा दिली मकसद ज़रा न समझा ! अजी दोस्त ! यह न समझो कि जब तुम बेगम से आशनाई कर लोगे तो सौसन किसी गैर शख़्स के साथ अपना मुंह काला करेगी ! मगर नहीं, यह हमीशा फ़क़त तुम्हारी ही रहेगी और आखिरी दम तक इसके दिल में लिवा तुम्हारे और किसी गैर शख़्स को जगह नसीब न होगी।"

याकूब,-" मगर, प्यारी! ये बातें तुम्हारे मुंह से आज क्योंकर निकल रही हैं ! अय, दिलरुबा! क्या याक ब को तूनं इतना कमीना समझ लिया है कि यह तुझे छोड़ कर किसी गैर औरत के साथ मजे उड़ाएगा और तेरे दिल को यों जला जला कर कवाच बनाएगा !!! नहीं, प्यारी! यह मुझसे हर्गिज़ न होगा, इसमें चाहे जो हो।

सौसन,-प्यारे ! तुम्हारा किधर खयाल है ! अजो ! मैं तो फ़क़त तुम्हें देख कर बड़े आराम के साथ अपनी ज़िन्दगी के दिन काट दूंगी और कभी ख्वाब में भी रंजीदा न हूंगी। मुझे दुनियां- दारी की ज़रा हबस नहीं है । मैं तो यह चाहती हूं कि तुम बेगम के साथ निकाह कर लो और यही समझो कि गोया सौसन के साथ ही शादी हुई है।

याकूब,-"जी हां! आप मुझे निरा दूधपीता बच्चाही समझती हैं क्या ? अजी, हज़रत ! यह मुझसे जीतेजी हर्गिज़ न होगा।"

सौसन,-"तो आज से आप मेरा मुंह न देखेंगे।"

याकूब,-"यह क्यों?"

सौसन,-"इसलिये कि आप मेरा कहना नहीं मानते।

याकूब,-"सौसन ! चाहे तुम्हारी जुदाई की आग में मुझे ताकयामत जलना पड़े, चाहे तुम मुझे आज पीछे अपना रुख़सार