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पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/४

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तुम्हारे साथ किस तरह पेश आवें;' पुरुने धीरता से उत्तर दिया.- 'जिसतरह बादशाह अपने बराबर के बादशाहों के साथ पेश आते हैं।'

निदान, उसकी धीरता पर सिकन्दर बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अपने बराबर बैठाया, तथा हिन्दुस्तान के उन सर हिस्सों को, जिन्हें उसने जीता था, उसी (पुरु) को देता गया । यह भारतवर्ष पर यवनों का पहिला चढ़ाव था। अब उसके आगे का हाल लिखते हैं, जिससे यहांका स्वाधीनता का भरपूर नाश हो गया।

सन् ५७० ई० में मुहम्मद पैदा हुआ था; चालीस बरस की अवस्था में उसने मुसलमानी धर्म का प्रचार करना प्रारम्भ किया और सन् ६३२ ई० में बासठ बरस के वय में वह परलोक सिधारा उसके मरने के बाद दूसरे ख़लीफ़ा उमर ने ईरान को जीतकर कुछ फ़ौज हिन्दुस्तान की ओर भेजी थी, किन्तु सिंधु के किसी राजा ने उसके सेनापति को मारडाला । फिर ख़लीफ़ा अली ने कुछ फ़ौज भेजकर सिंधु के किनारे का कुछ हिस्साजीत लिया, किन्तु पीछे जब वहां की लड़ाई में वही ( अली ) मारा गया तो मुसलमान निराश होकर हिन्दुस्तान के जीतने की आशा छोड़ बैठे।

सन् ७११ ई० में मुहम्मद के उत्तराधिकारियों में एक वलीद ख़लीफ़ा था, जिसकी फ़ौज ने सिंधु के किनारे बड़ा उपद्रव मचाया उसका सेनापति उसी ( वलीद ) का भतीजा था, और उसका नाम कासिम था । सो वह छःहज़ार फ़ौज के साथ हिन्दुस्तान पर चढ़ा था, किन्तु सिंधु के राजा दाहिर के मारेजाने पर उसकी दो लड़कियों ने ऐसा कौशल किया कि वलीद ने स्वयं कासिम को काट डाला । उस (कासिम) के मारेजाने के तीन बरस बाद उसको बेटा मुहम्मद फिर हिन्दुस्तान पर चढ़ा, पर चित्तौर के राजा बाप्पा से हार कर भाग गया।

इसके अनन्तर सन् ८१२ ई० में खुरासान के हाकिम ख़लीफ़ा हारूँरशीद के बेटे मामूँ रशीद ने हिन्दुस्तान पर चढ़ाई की, जिससे चित्तौर के राजा बाप्पा के परपोते खुमान से चौबीस लड़ाइयां हुई, और अन्त में मामूँ को अपनी जान लेकर भागना पड़ा।

बुखा़रा के पांचवें बाहशाह अब्दुल मलिक का अलप्तिगीन नामक एक गुलाम था, जो मलिक के मरने पर बादशाह हुआ। कुछ दिन पीछे उसे मारकर उसका गुलाम सुबुक्तिगीन बादशाह