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रवीन्द्र-कविता-कानन
 

छोर है, उसी की, विश्व को जीत लेने वाला, परिपूर्ण प्रेम की मूर्ति, शुभ समय के आने पर अपने प्रिय के मुख को विकसित कर देती है। मैं बस इतना ही जानता हूँ कि उस विश्वप्रिया के प्रेम में क्षुद्रता की बलि देकर, जीवन के सम्पूर्ण असम्मान को दूर हटाना होगा, उन्नत मस्तक को और ऊँचा करके सामने खड़ा होना होगा—उस मस्तक को उठाना होगा जिसमें भय की रेखा नहीं खिंची—दासता की धूलि ने जिस पर कलंक का टीका नहीं लगाया। उसे ही अन्तर में रख कर जीवन के कंटकाकीर्ण मार्ग पर चुपचाप अकेला जाना होगा,—सुख और दुःख में धैर्य रख कर, एकान्त में आँसू पोंछते हुए,—प्रति दिन के कर्मो में सब समय आलस छोड़ और सब आदमियों को सुखी करके। इसके पश्चात्दी र्घ पथ के जीवन की प्रगति की समाप्ति होने पर, थके हुए पैरों और खून में डूबे हुए अपने वेश को ले कर, भ्राँतिहीन शांति के उद्देश्य पर चलता हुआ एक दिन मैं उस स्थान में पहुँचूँगा जहाँ दुःख का नाम भी नहीं है। प्रसन्नता पूर्वक मन्द-मन्द हँसती हुई महिमालक्ष्मी भक्त के कण्ठ में वरमाल्य डालेगी, जिसके कर-पद्म का स्पर्श करते ही सम्पूर्ण दुःख, ग्लानि और अमंगल शांत हो जायंगे। उसके रक्तिम चरणों पर लोट कर मैं अपने जीवन भर के रुके हुए आंसुओं से उसके पैर धो दूँगा। चिरकाल से संचित को हुई आशा को उसके सामने प्रकट करके मैं रो-रो कर अपने जीवन की अक्षमताएँ निवेदित करूँगा, और अनन्त क्षमा माँगूँगा; सम्भव है, इससे मेरी दुःख-निशा का अवसान हो और एक ही प्रेम के द्वारा जीवन की सब प्रकार की प्रेम-तृष्णाएँ तृप्त हों।)

कैसा अद्भुत संकल्प है! कितने ही दिनों से संचित किये हुए भावों का भाण्डार, संकल्प चित्रों में, पाठकों को अमूल्य रत्न दे रहा है। महाकवि के इस संकल्प में, मनुष्य-जीवन का कर्तव्य, दीनों की दशा का वर्णन, उनके उत्थान का उपाय, नीचता का तिरस्कार, इन्हीं सब सांसारिक भावों की गणना की गई है। दोनों की दुर्दशा के साथ कवि की पूर्ण सहानुभूति पाई जाती है। परन्तु कवि का यह भाव बदल जाता है। अन्त में वह संपार छोड़ देता हैं। अपने गीतों की भीम गर्जना के द्वारा पददलित संसार को बार-बार प्रतिध्वनित करके जगाना वह भूल जाता है। उसे यह सब अचिर, नश्वर और क्षरणस्थायी जान पड़ता है। इस संसार से उसकी विरक्ति हो जाती है। यहाँ बड़ों में भी वह स्वार्थ देखता है और छोटों में उसे वही शब्द सुन पड़ता है। वह इस क्षुद्र जगत को पार कर जाता है। यहाँ मृत्यु को हृदय से लगाने वाले परम प्रेमी