पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रदिम रेखा कह लेने दो ओ मेरे प्राणों की पुतली आज तनिक कुछ कह लेने दो। अहो आज भर ही कहन दा यह प्रवाह कुछ ता बहने दो सयम । मेरी प्राण रच तो- आज असंयम में बहने दो मौन भार से दबे हृदय को कुछ मुखरित सुख सह लेने दो मान तनिक कुछ कह लेने दो। ६५