पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/३८

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आई यह अरुणा सुकुमारी रुन सुन गुन गुन रुन झुन गुन गुन भ्रमरी पाँजनियाँ गुजारी तन-मन प्राण-श्रवण ध्वनि नन्दित आई यह अरुणा सुकुमारी । वन-वन में कम्पन निष्पदन भर भर विचरा सनन समीरण यश अवलियों के अ तर से गूजे नव नय स्वागत स्वन सिहर उठे अग के एज कण कण पुलकित पाण खिल उठा चेतन जलज खिले मानों अरुणा ने अपनी अखियों सलज उधारी । बजी भग-पॉजनियाँ आई तुमुक हुमुक अरुणा सुकुमारी ।।