पृष्ठ:रसकलस.djvu/३६२

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११३ नायिका के भेद आनन अमंद - चंद सरिस दिपन लाग्यो जाहि सो जगी है जोति अतन - मदन की। 'हरिऔध' यौवन सरद की समैया पाइ कुंद की कली लौँ भई पॉति है रदन की । चंचलता ऑखिन बसी है खंजरीट जैसी चाँदनी - सी फैली चारु चॉदनी बदन की ।।२।। सवैया- - पीन भये कुच कामिनी के दोऊ केहरि सी कटि खीन भई है। वंकता भौंहन माहिं ठई मुख पै नव जोति - कला उनई है । जोबन अंग दिप्यो 'हरिऔध' गये गुन हूँ अब आय कई हैं। केस लगे छहरान छवान छै कानन लौ अखियान गई हैं ॥३॥ . सुग्धा के भेद ज्ञान के अनुसार मुग्धा के दो भेद हैं-१-अजातयौवना और २-ज्ञातयौवना । अज्ञातयौवना जिस मुग्धा को अपने योवन के आगमन का ज्ञान नहीं है, उसे अज्ञात- योवना कहते हैं। उदाहरण सवैया- ऊबि गई हो वतावै कहा नहीं क्यो हॅसिमौन की बान गही है। घेरत है 'हरिऔध' कहा मैं नूतनता हम कौन लही है। ए वजमारे न टारे टरै कहा औरन की इनैं पीर नहीं है। ठौर न झौंरन को है कहूँ किधौं भौरन की मति भूलि रही है ॥११॥ ज्ञातयौवना जिस मुग्धा को अपने अकुरितयौवना होने का ज्ञान होता है उसे ज्ञात- -यौवना कहते हैं।