पृष्ठ:रसकलस.djvu/३६८

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११६ नायिका के भेद उदाहरण सवैया- वतियान बनाये नहीं बनि है ढिग आवो नही खरे दूर रहो। अपने मनही की करी तो करी कत काहु के वैन अनसे सहो । 'हरिऔध' तुमैं हम जानती हैं हकनाहक ही हमको न दहो । चले जाहु गुनाह भई तो भई तुम नाह न बॉह हमारी गहो ॥ १॥ ३-अधीरा नारी-विलास-सूचक चिह्नों को देख अधीर हो प्रत्यक्ष रोष करनेवाली स्त्री को अधीरा कहते हैं। उसके दो भेद हैं-मध्या अधीरा और प्रौदा अघीरा । मध्या अधीरा रुष्ट होकर कटु भाषण करनेवाली नायिका को मध्या अधीरा कहते हैं। उदाहरण सवैया- नीकी नई निपुनाई करी अखियान को लागति है अति प्यारी। भोर ही भाग सों भाव-भरी यह आज भली करतूति निहारी। रीझि रही तजि खीझि सवै 'हरिऔध' छकी मति हेरि हमारी। कौन सी वाल है लाल कहो यह माल बिना गुन गूंधनवारी ॥१॥ प्रौढ़ा अधीरा मान करके तर्जन-ताइन द्वारा कंपित हो हो रोष प्रकट करनेवाली नायिका को प्रौदा अधीरा कहते हैं। उदाहरण सवैया- रोस कै कॉपति क्यों इतनी भला काहु को यों पत कोऊ उतारै । कौन सी चूक है ऐसी परी मुख जो अजौं तू अपनो न सम्हारे । -