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पृष्ठ:रसकलस.djvu/३६७

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११८ इसकलस उदाहरण सवैया- आवत ही विकसौहैं मिली अलसौं हैं बिलोकि नहीं बदल्यो रुख । वैन हरे हरे बोलि सुधा-सने वैसेही बाल दियो पिय को सुख । पैरचे केलि-क्रिया 'हरिऔध' के दावि सकी नहीं अंतर के दुख । छोरन देत न कंचुकी के बूंद जोरन देत नहीं मुख सों मुख ॥ १ ॥ २-धीराधीरा नारी-विलास-सूचक चिन्हों को देखकर कुछ गुत और कुछ प्रकट कोप दिखलानेवाली नायिका घीराधीरा कहलाती है। इसके भी दो भेद है-मध्या धीराधीरा और प्रौदा धीराधीरा। मध्या धीराधीरा रोदन-सहित व्यग वचन कहनेवाली नायिका धीराधीरा कहलाती है। उदाहरण संवैया- भोर भये पै पधारे कहा भयो मेरी सदा सुख ही की घरी है। गरी कळू 'हरिऔध' करें हमैं तो उनकी परतीति खरी है। बूझि विचारि कहै किन बावरी वीच ही मैं कत जाति मरी है। साँवरे प्रेम पसीजि परी नर्हि मो अँखिया असुश्रान भरी है ।। १।। दोहा- ए उमड़े असुआ नहीं कत कीजै सखि माख । अरी सनेह - भरी लसै यह तिल-वारी आँख ॥२॥ प्रौढा धीराधीरा मान करके तर्जन-गर्जन-पूर्वक व्यग-वचन वाण द्वारा पति को विद्ध करने थाली नायिका को प्रीड़ा धीराधीरा कहते है। -