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पृष्ठ:रसकलस.djvu/३९८

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१४६ नायिका के भेद लनना ललन मिलन चली गति लखि लजत गयंद । बदन - चंद की जोति ते होति चद - दुति मंद ।।२।। परकीया सवैया- मानी - मनोज को मान मरोरत मोहन मोहन को मृग-नैनी जाति जतावत जोम भरी जलजात - वरूथन को जग - जैनी 'हरिऔध' अलकावलि सों अलि को अकुलावति आनंद-ऐनी। भानुजा- कूल पैजात चली कल - कुंजन कूजत कोकिल-वैनी ||१|| सुंदर - भाव - भरे तन पै बगरी बर-भूखन-जोति भली है। सोधे सनी अलकावलि हूँ चहुँ घेरि लई अलि की अवली है। मजुल-गौन पै ए 'हरिऔध' गयंद हूँ की गति जाति छली है। भानु-ललो-प्रिय-रंग-रली कल केलि-थली मह जाति चली है ।। परकीया के भेद परकीया अभिसारिका के तीन भेद हैं-१-शुक्लामिसारिका, २-कृष्णा- भिसारिका और ३-दिवामिसारिका । शुक्लामिसारिका चाँदनी रात के अनुकूल वेश धारण करके प्रिय-समागम के लिये जाने वाली स्त्री को शुक्लाभिसारिका कहते हैं। दोहा- सेत - बसन हीरक - जटित विविध - विभूखन धारि । चली चाँदनी रात में चंदकला - सी नारि ॥१॥ कृष्णामिसारिका अँधियाली रात्रि के अनुक्ल वेश धारण करके प्रियसमागम के लिये जानेवाली परकीया स्त्री को कृष्णाभिसारिका कहते हैं।