पृष्ठ:रसकलस.djvu/४७५

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सकलस २२८ उदाहरण सवैया- आई अपार - बिनोद भरी बनिता ढिग सॉवरे-सील-निधान के। आदर-मान ही मैं 'हरिऔध' कढ़े मुख बैन बिदेस पयान के । उवि के ऊँची उसास लई सुख भूल गये सिगरे सनमान के । मोती समान कपोलन है अखियान ते बूंद गिरे असुआन के ॥१॥ दोहा- तुमरे विछुरे प्रानपति रहे न अपने नैन । वारि विमोचत रैन - दिन पावत पलौ न चैन । अरी बीर बरजत कहा रुदन करन दै मोहिं । सजल - नयन - बल ही सकल - हिय - दुख हरुए होहि ॥ ३ ॥ किसी वस्तु में तल्लीन होकर देह-दशा की विस्मृति को प्रलय कहते हैं। लै पुलकति उदाहरण दोहा- ललकति राधा नाम पकरि अलीन । ललना लालन है गई है लालन में लीन ॥१॥ भा भय, मोह और आलस्य के कारण क्षण-क्षण मुँह खोलकर जमुहाई लेने को जु भा कहते हैं।