पृष्ठ:रसज्ञ रञ्जन.djvu/१२८

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रसज्ञ-रंजन
 

उत्पन्न है)। महासागर...........हूँ अर्थात् महल में प्रवेश होना कठिन है।

पृष्ठ १००—मूर्तिहीन = शिवजी द्वारा भस्म होने के बाद से काम शरीर रहित हो गया और तब ही से उसका नाम अनंग पड़ा। अश्विनीकुमार = सूर्य के दो पुत्र जो देवताओं के वैद्य हैं। अद्वितीय = अकेले। बन्धूक = बन्धूक (दुपहरिया) पुष्प के समान लाल श्रोष्ठ। दमयन्ती के..........गई = दमयन्ती के अरुण ओष्ठों से निकले हुए वाक्यों ने कामों में पवित्र होकर कामदेव के वाणों के समान हृदय पर प्रभाव डाला। गवन्तरवर्तिनी मज्जापर्यन्त = शरीर में अत्यन्त गहरे स्थान तक।

पृष्ठ १०१—कलुषित = मलीन।

पृष्ठ १०२—बिम्ब = घेरा, मंडल। केवल......होगी = जब शिवजी ही ने, जो केवल तीन नेत्रों वाले हैं, कामदेव की वह दुर्दशा कर, गरेसरहजार नेत्रों वाले इन्द्र के क्रुद्ध होने पर उसकी न जाने सासादोगो। सन कृत अपराध-बोलने से कष्ट देना (कोकिल की परियोजना नहीं होती)। दारिद्रदीन = पत्र रूपी धन के अभाव ज रतिपति..........ने = कामदेव के वेग के कारण। साल धैर्य वाचक = शान्ति देने वाली।

१०३—अष्टमूर्ति........हैं शंकर की अष्ट मूतियों में की एक है। अष्टमूर्तियाँ जल, अग्नि, सूर्य, चन्द, भाकश, पृथ्वी, वायु और व्रजमान। याजक= यज्ञ करने वाले। कुसुमायुध = कामदेव। सूर्य............है = सूर्य जिसका पिता है ऐसा यमराज दक्षिण।......