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पृष्ठ:रसज्ञ रञ्जन.djvu/४

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दूसरे संस्करण के सम्बन्ध में

निवेदन

इस पुस्तक का पहला संस्करण निकले पूरे १२ वर्ष से भी अधिक समय हो गया। उसे जबलपुर के राष्ट्रीय-हिन्दी-मन्दिर ने प्रकाशित किया था। उसके अस्तित्व या अनस्तित्व का पता मुझे कई वर्षों से कुछ भी नहीं। अतएव इस पुस्तक के प्रकाशन और प्रचार का काम, विवश होकर मुझे अब आगरे के साहित्य-रत्न-भण्डार को सौंपना पड़ा है।

दौलतपुर, रायबरेली महावीरप्रसाद द्विवेदी
१ जून, १९३३