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रस-मीमांसा

रस-मीमांसा वर्णन कवि का कर्तव्य है, केवल रस या पूर्ण रस की कवायद करना नहीं। रामायण में जिस प्रकार रावण के प्रति राम के क्रोध का वर्णन है उसी प्रकार राम के प्रति रावण के क्रोध का भी, जैसे राम के प्रति सीता के रति भाव का वर्णन है वैसे ही सुपर्णखा के भी । हाँ ! भारतीय काव्य करना की दृष्टि से महा- काव्य में प्रधान आश्रय और आलंबन से संबंध रख्ननेवाले भाव का अनुभव श्रोता या पाठक को पूर्ण रस के रूप में होना चाहिए ।