पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/११५

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रहीम के पद ।

 
छबि आवन मोहनलाल की।
काछे काछनि कलित मुरलि कर पीत पिछौरी साल की ॥
बंक तिलक केसर को कीन्हे द्युति मानौं बिधु बाल की ।
बिसरत नाहिं सखी मो मन सो चितवनि नैन बिसाल की ॥
नीकी हँसनि अधर सधरनि छबि छीनी सुमन गुलाब की ।
जलसों डारि दियो पुरइनि पै डोलनि मुकतामाल की ॥
आप मोल बिन मोलनि डोलनि बोलनि मदन गोपाल की ।
यह सरूप निरखै सोइ जानै यहि रहीम के हाल की ॥१॥

कमल दल नैननि की उनमानि ।
बिसरत नाहिं मदनमोहन की मन्द-मन्द मुसकानि ॥
दसनन की द्युति चपला हूँ तैं चारु चपल चमकानि ।
बसुधा की बस करी मधुरता सुधा-पगी बतरानि ॥
चढ़ी रहै चित उर बिसाल की मुकतमाल लहरानि ।
नृत्य समय पीताम्बर की वह फहरि-फहरि फहरानि ॥
अनुदिन श्रीबृन्दावन ब्रजतैं आवन-आवन जानि ।
छबि रहीम चिततैं न टरति है सकल स्याम की कानि॥

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