पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/८९

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रहीम-कवितावली। लक्षिता- आजु नैन के कोरवा, औरै भाँति । नागर नेह नवेलिहि, मुंदिन जाति ॥२१॥ मुदिता- ... जै हो कान्ह नेवतेवा, भो दुख दून । बहू करै रखवरिआ, है घर सून ॥ २२॥ . नेवते गई ननदिया, मैके सास । दुलहिनि तोरि खबरिया, औ पिन पास ॥ २३ ॥ कुलटा- जस मदभातल हथिमा, हुमकति जाय । चितवत छैल तरुनिओ, मुह मुसुकाय ॥ २४ ॥ वितवत ऊँचि अटरिश्रा, दाहिने बाम । लाखन लखत बिदेसिना, कै बस काम ॥ २५ ॥ प्रथम अनुसयना- जमुना-तीर तरुनिअहि, लखि भौ सूल। झरिगो कुंज-बेअलिपा, फूलत फूल ॥ २६ ॥ ग्रीषम दहत दवरिश्रा, कुज-कुटीर। तिमि-तिमि तकत तरुनिअहि, बाढ़त पीर ॥ २७ ॥ २१-१-प्रेमी। २२-१-नेवते-बुलावे। २४-१-मतवाला, २-झूमता हुश्रा, ३-तरुणी ! २५-१-२-इधर-उधर, ३-पर पुरुष । २६-१-कुंज की बेलें-लताएँ तथा बेला । २७-१-दावानल । .....