पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१०३

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राजसिह [दूसरा की बेगम बनाना और कुत्तों से नुचवाना एक ही चीज तो नही। जेबुन्निसा-जहॉपनाह' बादशाह-ठहरो शहज्ञादी, मैं इस मामले पर गौर करूंगा। अब मैं जाता हूँ। तुम्हें भी इस शादी में मेरे हमराह चलना होगा। जेबुन्निमा-जैसी जहाँपनाह की मर्जी ( जाता है) जेबुन्निसा-समझी, उस ग़रूर की पुतली गँवारिन के लिये मालूम होता है अब्बा के दिल में कहीं किसी कोने में मुहब्बत छिपी है। मगर देखा जायगा। यह कम्बख्त प्रारमिनियन बॉदी तो अब नहीं सही जाती। (कुछ सोच कर ) कोई है? एक बाँदी-(हाथ जोड़ कर ) हुक्म म्बुदाबन्द । जेबुन्निसा--शराब। बाँदी-जो हुक्म (अदब से झुककर जाती है)। जेबुन्निसा-खुदा ने चाहा तो हिन्दुस्तान पर फिर एक नरजहाँ. हुकूमत करेगी। (बांदी शराब खाती है, शराब को प्याली में डालकर पीती हुई) वह नूरजहाँ मैं हूँ । (प्याला फर्श पर फैकती हुई बांदी से ) इधर था। बाँदी-(हाथ जोड़कर ) लोंडी को क्या हुक्म होता है ? जेबुन्निसा-तुझे हमारी खूबसूरती पसन्द है। बाँदी-वल्लाह सरकार, शाही हरम में लामिसाल हैं।