पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१०९

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राजसिंह [ तीसरा रामसिंह-(हंसकर ) दिल्ली के रगमहल के वैभव देखकर सब भूल जाओगी, बहन । मगर याद रखना जिस भाई की बदौलत यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है, उसे ऐश्वर्य मद मे भूल न जाना। चारुमती-(होंठ काटकर ) मैं क्षत्रिय बाला हूँ? रामसिंह-और मैं क्षत्रिय राजा हूँ। चारुमती-तुम क्षत्रियाधम हो । (तेजी से जाती है, पर्दा बदलता है)