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पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२१८

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छठा दृश्य (स्थान-ाणा राजसिंह की छावनी । राणा और चुने हुए सर्दार युद्ध मन्त्रणा कर रहे हैं) राणा-हाँ तो अब बादशाह की दूसरी युद्ध योजना यह है कि शाहजादा आजम चित्तौड़ से देवारी और उदयपुर होता हुआ पहाड़ों में बढ़े, इसी तरह शाहजादा मुअ- ज्जम राजनगर और अकबर देसूरी से ? गोपीनाथ राठौर-जी हाँ अन्नदाता । राणा-बहुत ठीक । अकबर अब सोजत में मुनीम है ? गोपीनाथ राठौर-जी हाँ। राणा-वहाँ से वह एक सेना माडोल होकर तहब्बुरखाँ की कामना में देसूरी के घाटे से मेवाड़ में भेजेगा और पहिले कुम्भलमेर पर आक्रमण करेगा। गोपीनाथ राठौर-जी हाँ, वहीं राठौरों की सेना पड़ी हुई है। राणा-हम आशा करते हैं तहब्बुर एक मास से पूर्व नाडोल न पहुँच सकेगा। आप तुरन्त कुम्भलमेर अपनी सेना सहित जाकर मोर्चा दुरुस्त कीजिए और दुर्गादास की मदद कीजिए। विक्रम सोलंकी और मोहकमसिंह शक्तावत आपके साथ रहेंगे पर खबरदार रहिए, तहब्बुर की सेना अकबर की सेना से मिलने न पावे। उसे पहिले ही रास्ते में काट फेंकना चाहिए।