पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२२

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७ दृश्य पहिला अंक होकर आये हैं। आप सब राजपूतों के सरदार हैं। इसलिए आपसे आशा है कि आला हजरत को कैद से छुड़ाने में हमारी मदद करेंगे। महाराणा-(ठण्डी साँस लेकर) अभागा दारा। औरंगजेब की क्या खबर है? दीवान फतहचंद-दारा के पीछे पंजाब जाते वक्त उसने एक निशान भेजकर श्रीमानों का पद बढ़ाकर ६ हजारी जात व ६ हजार सवार कर दिया है। साथ में ५ लाख रुपये तथा एक हाथी और हथिनी भेजी है, भोर फर्मान भेजा है कि बदनौर, माण्डलगढ़ और बाँसवाड़ा दखल करलें, और पाटवी कुवर को शाही खिदमत में भेज दें। राणा- (मुस्करा कर) देखा जायगा । क्या मोहकमसिंह मांडल से अभी नहीं लौटा गवत मेघसिंह-लौट आया है अन्नदाता । माण्डलगढ़ को बादशाह शाहजहाँ ने रूपनगर के राजा रूपसिंह को दे दिया था। उसकी तरफ से महाजन राघवदास वहाँ का किलेदार तैनात है। मोहकमयिह ने उसे बहुत समझाया । पर वह लड़ने-मरने को तैयार है गढ़ नहीं देता। राणा-(भौंहों में चल डालकर ) बनेडा और शाहपुरा वालों से तो मामला ते हो गया न ? रावत मेघसिंह-जी हाँ अन्नदाता ! उन्होंने २६ हजार रुपये और शाहपुरा वालों ने २२ हजार रुपये दंड देकर आधी