पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२१

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दूसरा दृश्य (स्थान-चित्तौड़ का किला । मैदान में महाराणा राजसिंह जी अपने सरदारों सहित बडे बात कर रहे हैं।) महाराणा-तो यह खबर बिल्कुल सच है ? रावत रघुनाथसिंह-(हाय मोड़कर )पृथ्वीनाथ ! सेवक को विश्वस्त सूत्र से खबर मिली है। महाराणा-कि समू नगर की लड़ाई में मुराद और औरगजेब की सम्मिलित सैन्य ने दाग को परास्त कर दिया। रावत रघुनाथसिंह-जी हाँ, महाराज! और इसके बाद औरंगजेब ने कौशज से मुराद को कैद करके सलीमगढ़ में भेज दिया है और बूढ़े बादशाह को आगरे के किले में नर कर लिया है। महाराणा-दारा अब कहाँ है ? रावत रघुनाथसिंह-वह पहिले पंजाब माग गण था। पर औरंगजब ने तावद तोड़ उसका पीछा किया। अब वह कच्छ गुजरात होता हुआ सिरोही में मुकीम है, वहाँ से उसने भन्नदाता के नाम एक खरोता भेजा है। महाराणा-खरीते में क्या लिखा है ? दीवान फतहचन्द-वह लिखता है कि हमने राजपूतों पर अपनी लाज छोड़ी है, और इम सब राजपूतों के मिहमान