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पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२४१

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राजसिंह [बारहवा राजपूत लड़की से वास्ता है। जाओ बादशाह से कह देना इस बार मैं सिर्फ तस्वीर पर ही लात मार कर न रह जाऊँगी। जाओ तमाखू भरो और चली जाओ। 'उदयपुरी बेगम-(रो कर ) मैं तमाखू भरना नहीं जानती। चारुमती-(निर्मल से ) किसी बाँदी से कह कि इन्हें तमाखू भरना सिखा दे। (दो तीन बाँदी निर्मल के इशारे से आती हैं) बाँदी-चलो । उठाओ चिलम । उदयपुरी बेगम-(तकदीर पर हाथ धर कर ) हाय किस्मत । ( तमाखू भगती है) बाँदी-जाओ अब बेगम । आलमगीर से तमाम हाल कह देना। (बेगम चुपचाप आती है) चारुमती-(निर्मल से ) ला अब शाहजादी को। (निर्मल जाती है) चारुमती-इस औरत की बहुत तारीफ सुनी है । सुना है रंगमहल में इसी की तूती बोलती है। (शहजादी भाती है) चारुमती-( उठकर मखमली कुर्सी की ओर इशारा करके ) मैठिये शहजादी!