पृष्ठ:राजसिंह.djvu/६७

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राजसिंह तीसरा फितरत-मैं राजपूताना से आ रही हूँ, रुपनगर गई थी। शाहजादी-(त्योरियों में बल डालकर) फिर ? फितरत-मेरे पास तस्वीरें थीं, वे मैंने वहाँ की राजकुमारी को दिखाई। शाहजादी-कौन २ तस्वीरें थीं। फितरत-सभी बादशाहों की थीं हुजूर ! शाहजादी-खबर क्या है ? फितरत-एकदम गुस्ताखाना फेल । शाहजादी-कह बदजात । फितरत-(हाथ जोड़कर) खुदाबन्द ! मेरे पास हज़रत पीर दस्त- गीर आलमगीर की तस्वीर थी, वह मैंने राजकुमारी को दिखाई थी। शाहजादी-शिजदा किया उसने । फितरत-तोवा-तोबा । हुजूर उसने तस्वीर की तौहीन की। शाहजादी-क्या किया? फितरत-वह कल्मा जवान पर नहीं ला सकती। शाहजादी-तो तुझे कुत्तों से नुचवाऊँ ? फितरत-(गिड़गिड़ाकर) हुजूर शाहजादी! गुलाम की जान बख्शी जाय तो अर्ज करू। शाहजादी-कह फिर, हरामजादी। फितरत-उस मगरूर काफिर लड़की ने हजरत की तस्वीर पर लाल मारी।