पृष्ठ:राजसिंह.djvu/८६

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दूसरा अंक दृश्य] होते ही मार डाली जाती हैं । जो बचती हैं वे ऐसी सांसत भुगतती हैं। निमल-कुमारी, व्यर्थ अपने मन को दुखी न करो, समय पर कुछ न कुछ हो ही रहेगा। महाराज कुछ करेंगे। कुमारी-मुझे धैर्य नहीं होता। निमल-भगवान सबके स्वामी, सबके रक्षक हैं। चलिये सोइये। अधिक जागने से आपकी तबियत बिगड़ जायगी। ( दोनों जाती हैं)