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पृष्ठ:राजसिंह.djvu/९४

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तीसरा अङ्क पहिला दृश्य (स्थान-उदयपुर, देवी के मन्दिर का एक पाव भाग रत्नसिंह और उसकी भावी पत्नी सुहाग-सुन्दरी । समय-प्रातःकाल) रत्नसिंह-ठहरो राजकुमारी, मुझे तुमसे कुछ कहना है। क्या तुम जानती हो कि मैंने तुम्हें पूजा के बहाने यहां मिलने को बुलाया है। 2 राजकुमारी-जानती हूँ । परन्तु यह क्या उचित हुआ है ? माता जी से मुझे झूठ बोलना पड़ा है। रत्नसिंह-इसमें अनुचित क्या है ? तुमसे मेरी मँगनी हुई है तुम मेरी भावी पत्नी हो, मुझे तुमसे मिलने का अधिकार है। राजकुमारी-कहिए, आपने मुझे क्यों बुलाया है ? रत्नसिंह-मुझे कुछ कहना है । राजकुमारी कहिए। रत्नसिंह-इतनी जल्दी ? यह तो असम्भव है, मुझे सोचना पड़ेगा।