पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१५२

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राजा भयभीत हुआ और वह अपना नगर छोड़कर भाग गया। खण्डेला के निवासियों ने रायसल की अधीनता स्वीकार कर ली। इसके बाद खण्डेला शेखावटी में मिला लिया गया। रायसल के वशज रायसलोत नाम से प्रसिद्ध हुये। वे सभी शेखावटी के दक्षिणी स्थानों मे रहते थे। उन दिनों मे सिद्धानी वंश के लोग शेखावटी के उत्तर की तरफ रहा करते थे। रायसल ने खण्डेला को शेखावटी में मिलाकर उदयपुर को अपने अधिकार में कर लिया। उदयपुर पहले कसुम्बी नाम से प्रसिद्ध था और वहाँ पर निर्वाण राजपूतों का अधिकार था।' बादशाह अकबर के साथ मेवाड के राणा प्रतापसिंह का जो युद्ध हुआ था। उसमें रायसल आमेर के राजा मानसिंह के साथ वादशाह के पक्ष मे राणा प्रतापसिंह से युद्ध करने गया था। काबुल के अन्तर्गत कोहिस्तान के अफगानियों के विरुद्ध युद्ध करने के लिये दिल्ली से मुगलों की एक फौज गयी थी, रायसल को उस फौज के साथ वहाँ पर युद्ध करने के लिये भेजा गया था। रायसल ने सभी युद्धो में अपने युद्ध-कौशल का प्रदर्शन किया था और उसके लिये बादशाह ने उसको पुरस्कृत किया था। रायसल ने अपने अधिकार के नगरों और ग्रामों पर शान्तिपूर्वक शासन करने के बाद इस संसार को छोडकर परलोक की यात्रा की। मरने के पहले उसने अपने राज्य के सात भाग कर दिये थे और उन सातो भागों को उसने अपने सातों पुत्रों में बाँट दिया था। उसके पुत्रों के वंशजो से अगणित परिवारो और बहुत से वंशो की सृष्टि हुई। रायसल के सातों लड़को के नाम और उनको हिस्से में मिले हुए राज्य इस प्रकार हैं। गिरिधर खण्डेला और रेवासा लाडखान खाचरियावास भोजराज उदयपुर तिरमलराव कांसली और चौरासी ग्राम परशुराम विवाई हरीराम मूंडरू ताजखान कोई स्थान नहीं मिला। गिरिधर रायसल का बडा लड़का था। ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण उसको राज्य का बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ था। वह अपने पिता के समान तेजस्वी और शूरवीर था। दिल्ली के बादशाह से उसे खण्डेला राजा की उपाधि मिली। ___ इन दिनों में वादशाह के राज्य मे बड़ी गड़बड़ी मची हुई थी। मेवाड के पहाड़ी इलाकों पर मेव जाति के पहाड़ी लुटेरों ने लूटमार आरम्भ कर दी थी और वे कभी-कभी राजधानी के समीप तक आ जाते थे। उनको दमन करने के लिये बादशाह ने गिरिधर को चौहान राजपूतो की एक शाखा निर्वाण के नाम से प्रसिद्ध थी। इस वश के राजपूतों ने अपनी शक्तियों को मजबूत बना लिया था । उदयपुर का नाम पहले कसुम्बी था। वहाँ पर निर्वाण राजपूतों की राजधानी थी। इस उदयपुर में ही आवश्यकता पड़ने पर अपनी समस्याओं का निर्णय करने के लिये शेखावटी के सामन्त एकत्रित हुआ करते थे। - Fi o 144