पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२१७

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वीरता का परिचय दिया था। सम्राट पृथ्वीराज की अधीनता में एक सौ आठ राजा थे, उनमें इन दोनों भाइयों ने अधिक ख्याति पायी थी और इसीलिये सम्राट उनका अधिक सम्मान करता था। पृथ्वीराज ने कन्नौज के राजा जयचन्द की लड़की अनंगमञ्चरी-जो संयोगिता के नाम से प्रसिद्ध थी- का अपहरण किया था, उस समय जयचन्द के साथ उसका भयानक संग्राम हुआ। उस युद्ध में हमीर और गम्भीर दोनों भाई सम्राट का पक्ष लेकर बड़ी बहादुरी के साथ लड़े थे। हाड़ाराव हमीर ने अपने छोटे भाई गम्भीर के साथ घोड़े पर बैठे हुए पृथ्वीराज के पास जाकर कहा था। "जंगलेश, हम जयचन्द की सेना के साथ युद्ध करेंगे, आप अपने लिये आवश्यक कार्यक्रम बनाइये।"* राजा जयचन्द ने अपनी लड़की संयोगिता का स्वयंवर किया था। उसमें सम्राट पृथ्वीराज ने संयोगिता का अपहरण किया। इसके फलस्वरूप जयचन्द और पृथ्वीराज में भीपण युद्ध हुआ। जयचन्द के अधीन सभी राजा अपनी सेनाओं के साथ जयचन्द की सहायता में युद्ध करने के लिये आये। उनमें काशी का राजा भी था। युद्ध में हमीर और गम्भीर ने काशी के राजा पर आक्रमण किया और हमीर ने उस समय इतना भयानक युद्ध किया कि उससे एक वार जयचन्द के पक्ष की सेनायें विचलित हो उठीं। लेकिन उसके बाद दोनों भाई युद्ध में मारे गये। हमीर के कालकर्ण नाम का एक लड़का था। कालकर्ण के लड़के का नाम महामुग्ध था। उससे राववाचा नामक लड़का पैदा हुआ और रावबाचा के लड़के का नाम रामचन्द था। अलाउद्दीन ने जिन राज्यों का विनाश किया था, उनमें रामचन्द का भी एक राज्य था। उसका असीर गढ़ नामक दुर्ग बहुत मजबूत और सुरक्षित समझा जाता था। लेकिन अलाउद्दीन ने उस दुर्ग को जीतकर रामचन्द का उसके पूरे परिवार के साथ सर्वनाश किया था। उस सहार मे रैनसी नाम का ढाई वर्प का रामचन्द का एक बालक किसी प्रकार वच गया था। वह बालक चित्तौड़ के राणा का भान्जा था, इसलिए वह राणा के पास रामचन्द के मारे जाने पर भेज दिया गया। वहाँ रहकर रैनसी बड़ा हुआ और युद्ध की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उसने अपनी सेना लेकर भैंसरोड पर आक्रमण किया और वहाँ के सरदार दूंगा को भगा दिया। भैंसरोड पहले मेवाड़ के राज्य में शामिल था। अलउद्दीन के चित्तौड पर आक्रमण करने और उसको विध्वंस करने के बाद राणा की शक्तियाँ निर्वल पड गयी थीं। उस समय अवसर पाकर दूंगा ने भैंसरोड पर अधिकार कर लिया था। रैनसी के कोलन ओर रनफर नामक दो लड़के थे। वड़ा लडका कोलन रोग से व्यथित होने के कारण केदारनाथ की यात्रा करने के लिये चला गया। यह लम्बी यात्रा उसने बिना किसी सवारी के पूरी की और छ: महीने तक लगातार चलकर वह बूंदी के पास पहुंचा। वहाँ पर पर्वत से निकली हुई बाण गंगा नामक नदी में उसने स्नान किया। स्नान करने के बाद उसे अनुभव हुआ कि अब मैं आरोग्य हो गया हूँ। उसके बाद वह पठार का राजा हुआ। • जंगलेश, सम्राट पृथ्वीराज की एक उपाधि थी। " रेनसी का नाम वंश भास्कर में रतनसिह लिखा है। इसे कहीं-कहीं पर रैनमिह भी लिखा गया है। :: पठार मध्य भारत का नाम था। कोलन ने अपने राज्य का दसवाँ भाग अपने छोटे भाई को दे दिया था। 209