पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२२३

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कर रहे थे, रानी ने बड़ी सावधानी के साथ तीन सौ अत्यन्त सुन्दर हाड़ा जाति के युवकों को स्त्रियों के वेश में सजाकर तैयार कर लिया। होली खेलने का समय पहले से ही निर्धारित हो गया था। समय आते ही युवतियों का वेश धारण किये हुए तीन सौ युवक अपने हाथों में अबीर लेकर धात्री के साथ रानी के महल से बाहर निकले और कोटा में जाकर पठानों पर अबीर फेंकने लगे,धात्री के साथ रानी का वेष धारण किये हुए भोनङ्गसी भी था। उसने पठानों के सरदार केसर खाँ के पास आते ही-जैसा पहले से निश्चित था अपने हाथ का अवीर-पात्र उसके मुख पर जोर के साथ पटका। उसी समय हाड़ा वंश के तीन सौ युवक युवतियों का वेश फेंककर बड़ी तेजी के साथ कमर में छिपी तलवारें निकालकर पठानों का संहार करने लगे। उस आक्रमण में केसर खाँ अपने बहुत-से शूरवीर पठानों के साथ मारा गया और उसके बाद भोनगसी ने कोटा पर अधिकार कर लिया। ___ समरसी की मृत्यु के बाद नापा जी बूंदी के सिंहासन पर बैठा। टोंडा के सोलंकी राजा की लड़की के साथ उसका विवाह हुआ था। वह सोलंकी राजा अनहिलवाड़ा के प्राचीन नरेशों का वंशज था। टोंडा की राजधानी में संगमरमर का एक बहुमूल्य पत्थर था, नापाजी को वह बहुत पसन्द आया। इसलिए उसने अपनी स्त्री से कहा कि वह अपने पिता से उस पत्थर को मॉग ले। उसके कहने के अनुसार उसकी स्त्री ने अपने पिता से उस पत्थर को माँगा। सोलंकी राजा ने उसे देने से इन्कार किया और उत्तर देते हुए उसने कहा-"इस प्रकार नापाजी की माँग एक दिन हमारी स्त्री के लिये भी हो सकती है।" इस तरह उत्तर देने के बाद उसने चाहा कि नापाजी टोंडा राज्य से चला जावे। नापाजी को इस प्रकार की बातों से अपना अपमान मालूम हुआ। लेकिन उसने उस समय जाहिर नहीं किया। वह टोंडा छोड़कर अपनी राजधानी चला आया और इस घटना के परिणामस्वरूप वह अपनी रानी से घृणा करने लगा। उसने उसके साथ सभी प्रकार के व्यवहारों का अन्त कर दिया। नापाजी के इस व्यवहार को देखकर उसकी रानी को बहुत दुःख हुआ। उसने इस प्रकार की सभी बातें अपने पिता के पास कहला भेजी। सावन के महीने का तीसरा दिन राजस्थान में कजली तीज के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन वहाँ के सभी राजपूत अपनी स्त्रियों से भेंट करने जाते हैं। इसलिए नापाजी ने अपने सभी सरदारों और सामन्तों को अपने-अपने नगरों में जाने की आज्ञा दी। ऐसी दशा में बूंदी राजधानी सरदारों और सामन्तों से खाली हो गयी। यह अवसर पाकर सोलंकी रानी का भाई टोंडा का राजकुमार छिपे तौर पर बूंदी राजधानी में रात के समय आया और महल में जाकर उसने नापाजी को मार डाला। इसके बाद वह तुरन्त अपने आदमियों के साथ बूंदी राजधानी से चला गया। कजली तीज का त्यौहार मनाने के लिये जितने भी सामन्त अपने परिवारों के साथ बूंदी से विदा हुए थे, उनमें एक सामन्त की स्त्री बीमार थी। इसलिये वह सामन्त अपने नगर नहीं पहुंचा और बूंदी के बाहर एक रास्ते में बैठकर वह अफीम का सेवन कर रहा था। इसी समय टोंडा का राजकुमार नापाजी को मारकर अपने सैनिकों के साथ उस मार्ग से बातें करता हुआ जा रहा था। उस सामन्त ने उसकी बातों को सुना। वह तुरन्त उत्तेजित हो उठा और 215