पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

समरसी के तीन लड़के पैदा हुए, बड़े लड़के का नाम था नापाजी,वह बँदी के सिंहासन पर बैठा। दूसरे लड़के का नाम हरपाल था, उसको जजवार नामक ग्राम का अधिकार मिला, वह उस स्थान पर जाकर रहने लगा। उससे बहुत से वंशजों की वृद्धि हुई और वे हरपाल पोता के नाम से प्रसिद्ध हुए। तीसरे लड़के का नाम था जैतसी। उसने सबसे पहले चम्बल नदी की दूसरी तरफ अपने राज्य का विस्तार किया। किसी समय वह कैथून के तोमर राजा से मिलने के लिये गया था। वहाँ से लौटने के समय वह भीलों के एक नगर से होकर गुजरा। वह नगर नदी के किनारे पर बसा हुआ था। उसने भीलों के उस नगर पर आक्रमण किया और उनको उसने परास्त किया। उस आक्रमण में बहुत से भील जान से मारे गये। उस नगर से बाहर भीलों का एक दुर्ग था और उसमें एक भील सरदार रहता था। जैतसी ने दुर्ग के उस भील को मरवा डाला और फिर युद्ध देवता भैरों के स्मारक में पत्थर की एक हाथी की मूर्ति बनवाकर उसने वहाँ पर स्थापित की। जिस स्थान पर यह स्थापना हुई, वह कोटा राजधानी के दुर्ग के चार झोंपड़ा नामक स्थान के पास है। कोटिया नामक एक भीलों की जाति से इस कोटा नाम की उत्पत्ति हुई है। जैतसी और उनके वंशजों ने उस दुर्ग एवम् उसके आस-पास के नगरों तथा ग्रामों पर कई पीढ़ियों तक अपना अधिकार रखा। उसका पाँचवाँ राजा भोनगसी बूंदी के राव सूरजमल के द्वारा अधिकारों से वञ्चित किया गया। जैतसी के सुरजन नाम का एक लड़का था। उसने भीलों के इस स्थान का नाम कोटा रखा और उसके चारों तरफ उसने दीवार बनवा दी। सुरजन के लड़के धीरदेव ने बारह विशाल सरोवर खुदवाये और नगर के पूर्व की ओर एक विस्तृत झील तैयार करवाई, जो उसके नाम पर किशोर सागर के नाम से अब तक प्रसिद्ध है। उसके लड़के का नाम कन्दल था और कन्दल के लड़के का नाम भोनंगसी था। उसने कोटा को एक बार खोकर फिर से उस पर अधिकार प्राप्त कर लिया। वह घटना इस प्रकार है-धाकर और केसरखाँ नामक पठानों ने कोटा पर आक्रमण किया। अफीम और मदिरा का अधिक सेवन करने के कारण भोनगसी को उन्माद रहा करता था। इसलिये वह बूंदी से निकाल दिया गया। उसकी स्त्री अपने परिवार और सरदारों के साथ कैथून नगर चली गयी। उसके आस-पास तीन सौ साठ ग्राम हाड़ा लोगों के थे। निर्वासित होने के बाद कुछ दिनों में भोनगसी की आदतों में सुधार हुआ। उसने मादक पदार्थो के सेवन की आदतों को बहुत कम कर दिया और अपनी स्त्री तथा परिवार के लोगों से मिलने की कोशिश की। उसकी स्त्री उसके इस सुधार पर बहुत प्रसन्न हुई और कोटा पर अधिकार प्राप्त करने के लिये उसने अपने पति को तैयार कर लिया। वह इस बात को समझती थी कि बलपूर्वक कोटा पर अधिकार करने से रक्तपात होगा और उसकी सफलता पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता। क्योंकि पठानों की शक्तियाँ उसकी अपेक्षा प्रबल थीं। इसलिये उसने बड़ी बुद्धिमानी से काम लिया। फाल्गुन के महीने में पठानों के साथ उसने कैथून की बहुत-सी युवती लड़कियों को होली खेलने के लिए आमन्त्रित किया और उनके साथ उसने निश्चय कर लिया कि हम सब लोग कोटा के पठानों के साथ होली खेलेंगी। इसके लिये उसने कोटा के पठानों के पास भी सन्देश भेजा, जिसे सुनकर पठान बहुत प्रसन्न हुए। दोनों तरफ होली खेलने की तैयारियाँ होने लगी। जिस समय कोटा के पठान कोटा की भूतपूर्व रानी और कैथून की युवतियों के साथ होली खेलने के लिये हर्षपूर्वक तैयारी 214