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पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२४९

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अन्त तक चलती रही। बादशाह की मृत्यु के बाद मुगल सिंहासन पर बैठने का अधिकार प्राप्त करने के लिए फिर से संघर्ष पैदा हुआ। उस संघर्ष में औरंगजेब के सभी पौत्र मारे गये। इसके वाद फरूखसियर मुगल सिंहासन पर बैठा और उसने भयानक अत्याचार करके मुगल साम्राज्य का सभी प्रकार विध्वंस किया। इसके बाद फर्रुखसियर के दोनों भाइयों ने उसके साथ संघर्प पैदा किया और उसको मार डालने के लिए वे चेष्टा करने लगे। इन दिनों में बूंदी के राजा ने फर्रुखसियर का साथ दिया। दिल्ली राजधानी में भीपण युद्ध आरम्भ हुआ। उस युद्ध में वुधसिंह का चाचा जगत सिंह बूंदी के अनेक सामन्तों के साथ मारा गया। जाजो के युद्ध में कोटा और बूंदी के राजाओं में शत्रुता पैदा हुई। कोटा का राजा राम सिंह युद्ध में मारा गया था। इसलिए उसका लड़का भीमसिंह अपने पिता का बदला लेने के लिए अनेक प्रकार के उपाय सोचने लगा। फर्रुखसियर के दोनों भाइयों ने उसके साथ युद्ध किया था और उस युद्ध में बूंदी के राजा ने फर्रुखसियर की तरफ से युद्ध किया था। इसलिए बूंदी के राजा से बदला लेने के लिए भीमसिंह फर्रुखसियर के दोनों भाइयों से मिल गया था। राव राजा बुधसिंह एक दिन जिस समय दिल्ली राजधानी के बाहर अपने घोड़ों को युद्ध की शिक्षा दे रहा था, कोटा का राजा भीमसिंह अपने कुछ सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और वह बुधसिंह को कैद करके दोनों सैयद बन्धुओं के पास ले जाने के लिए तैयार हुआ। उस समय बुधसिंह के साथ बहुत थोड़े से सैनिक थे। परन्तु सैनिकों ने कोटा के राजा के साथ युद्ध करके बुधसिंह की रक्षा की। इन दिनों में बादशाह फर्रुखसियर के विरोधी दोनों सैयद वन्धु शक्तिशाली हो गये थे और फर्रुखसियर का भविष्य अंधकार पूर्ण हो रहा था। इसलिए राव राजा वुधसिंह दिल्ली छोड़कर चला गया। इसके बाद अवसर पाकर दोनों सैयद वन्धुओं ने बादशाह फर्रुखसियर को मार डाला। उसके मर जाने के बाद जो राजपूत राजा दिल्ली में थे, वे अपनेअपने राज्यों में चले गये। इन दिनों में आमेर के राजा जयसिंह के साथ बूंदी के राजा बुधसिंह का संघर्प पैदा हुआ और राजा जयसिंह बुधसिंह को बूंदी के सिंहासन से उतार देने की कोशिश करने लगा। यह घटना इस प्रकार कही जाती है वुधसिंह ने राजा जयसिंह की एक बहन के साथ विवाह किया था और उसके पहले यह तय हो चुका था कि जयसिंह की उस बहन के साथ वादशाह बहादुरशाह आलम का विवाह होगा। लेकिन जाजो के युद्ध में वुधसिंह की सहायता से वादशाह शाह आलम बहुत प्रसन्न हुआ और उसने जयसिंह की उस बहन के साथ विवाह करने के लिए बुधसिंह से कहा। बादशाह के इस परामर्श से जयसिंह ने प्रसन्न होकर अपनी उस बहन का विवाह बुधसिंह के साथ कर दिया। जयसिंह की उस वहन के कोई सन्तान पैदा नहीं हुई। इस विवाह के पहले बुधसिंह ने बेगू के कालामेघ की एक लड़की के साथ विवाह किया था। उस रानी से दो लड़के पैदा हुए। उन दोनों सौतेले लड़कों के साथ जयसिंह की बहन ईर्ष्या करने लगी। इन्हीं दिनों में बुधसिंह अपने राज्य से बाहर चला गया। उसके जाने के बाद जयसिंह की उस बहन ने अपने आपको गर्भवती कहकर प्रकट किया और कुछ दिनों के बाद बुधसिंह की दूसरी रानी से पैदा 241